सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि विश्वविद्यालयों में फ़ाइनल ईयर के एग्जाम यूजीसी की गाइडलाइंस के मुताबिक़ ही होंगे। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एम,आर. शाह और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यूजीसी की ओर से जारी गाइडलाइंस को रद्द करने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से फ़ाइनल ईयर के एग्जाम की तारीख़ आगे बढ़ाने के लिए कह सकते हैं लेकिन वे छात्रों को आतंरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रमोट नहीं कर सकते।
यूजीसी की ओर से 6 जुलाई, 2020 को गाइडलाइंस जारी की गई थी। जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालयों को सितंबर के अंत तक फ़ाइनल ईयर के एग्जाम करा लेने चाहिए, चाहे वे ऑनलाइन या ऑफ़लाइन, किसी भी फ़ॉर्मेट में कराएं। गाइडलाइंस में यह भी कहा गया था कि इंटरमीडिएट सेमेस्टर वाले छात्रों को उनकी पुरानी परफ़ॉर्मेंस के आधार पर प्रमोट किया जाएगा।
छात्रों की ओर से इस मामले में कहा गया था कि कोरोना महामारी के इस दौर में उन्हें फ़ाइनल ईयर के एग्जाम देने के लिए मजबूर करना उनकी जान को मुसीबत में डालने जैसा होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण क्लास बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और ऐसे में एग्जाम कराना सही नहीं होगा।
छात्रों की ओर से तर्क दिया था कि सभी जगह इंटरनेट की बेहतर पहुंच न होने के कारण ऑनलाइन एग्जाम का विकल्प सही नहीं होगा।
NEET-JEE एग्जाम का मुद्दा गर्माया
दूसरी ओर, NEET-JEE एग्जाम का मुद्दा गर्मा गया है। ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) और नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी) को लेकर छात्रों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के ऐसे ख़तरनाक दौर में इन एग्जाम को नहीं कराया जाना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। इन एग्जाम को कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने कहा है कि एग्जाम अपने तय समय पर यानी सितंबर में ही होंगे।
एजेंसी की ओर से कहा गया है कि एग्जाम सेंटर्स पर सोशल डिस्टेंसिंग सहित बाक़ी ज़रूरी एहतियात बरते जाएंगे। छात्रों के जबरदस्त विरोध के बाद भी शिक्षा मंत्रालय तय समय पर ही एग्जाम कराना चाहता है।
इस मुद्दे को लेकर सात ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे। केंद्र सरकार की जेईई के एग्जाम 1 से 6 सितंबर जबकि एनईईटी के एग्जाम 13 सितंबर को कराने की योजना है।
कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई इस मुद्दे पर दिल्ली सहित कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहा है। एनएसयूआई के नेताओं का कहना है कि एग्जाम के दौरान अगर छात्रों को कोरोना हुआ तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। उन्होंने जेईई-एनईईटी सहित सेमेस्टर एग्जाम को भी रद्द करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ़्ते इस संबंध में दायर एक याचिका को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि छात्रों के क़ीमती साल को बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता। याचिका में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एग्जाम को रद्द करने की मांग की गई थी।