राष्ट्रपति ने मंजूर किया हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा

07:20 am Sep 18, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने 'किसान विरोधी राजनीति' को लेकर मोदी सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया है। उनका यह इस्तीफ़ा लोकसभा में विवादस्पद नये कृषि विधेयकों पर वोटिंग से कुछ समय पहले आया है। शिरोमणि अकाली दल इन नये कृषि विधेयकों का विरोध करता रहा है और आज ही अकाली दल के प्रमुख और हरसिमरत कौर के पति सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि अकाली दल सरकार और बीजेपी का समर्थन जारी रखेगा लेकिन 'किसान विरोधी राजनीति' का विरोध करेगा। 

शिरोमणि अकाली दल की नेता का यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसानों में किसानों से जुड़े इन विधेयकों के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा है। केंद्र की मोदी सरकार तीन कृषि अध्यादेश लेकर आई है। इन अध्यादेशों को लेकर यह कहा जा रहा है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र ज़रिया है, अध्यादेश इसे भी ख़त्म कर देगा। इसके अलावा कहा जा रहा है कि ये अध्यादेश साफ़ तौर पर मौजूदा मंडी व्यवस्था का ख़ात्मा करने वाले हैं। इन दोनों राज्यों के किसान पिछले तीन महीने से इन अध्यादेशों का पुरजोर विरोध कर रहे हैं हालाँकि मोदी सरकार इन्हें किसान हितैषी बता रही है। 

अकालियों ने शुरू में इन विधेयकों का समर्थन किया था, लेकिन जब देखा कि पंजाब और हरियाणा में किसानों में इसको लेकर ज़बरदस्त ग़ुस्सा है तो अपनी रणनीति बदली। इसके बाद से ही अकाली राज्य में संभावित नुक़सान की भरपाई की कोशिश कर रहे हैं और केंद्र से किसानों की चिंताओं को दूर करने अपील कर रहे हैं। हालाँकि इसके बावजूद बीजेपी इन विधेयकों पर अड़ी है। इसी के विरोध में अकाली दल ने आज संसद में उनके ख़िलाफ़ विधेयकों का समर्थन वापस लेने और उनके ख़िलाफ़ मतदान करने का फ़ैसला किया।

बता दें कि 10 सितंबर को भारतीय किसान यूनियन ने इन अध्यादेशों के ख़िलाफ़ कुरूक्षेत्र के पीपली नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया था। इसके बाद उनकी पुलिस से भिड़ंत हुई थी। पुलिस ने इसे लेकर किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के ख़िलाफ़ कई मुक़दमे दर्ज कर दिए हैं। इसके बाद किसान और ग़ुस्से में हैं। चढ़ूनी ने कहा है कि अगर इन अध्यादेशों को रद्द करने की उनकी माँग नहीं मानी गई तो वे आंदोलन को और तेज़ करेंगे। प्रदर्शनकारी किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पुतले भी फूंके थे।