ट्विटर ने भारत सरकार से कहा है कि वह भारत की अपनी टीम को फिर से गठित करेगा और दफ़्तरों में सीनियर अफ़सरों को नियुक्त करेगा। ट्विटर का कहना है कि ऐसा करने से क़ानूनी मामलों को बेहतर ढंग से हैंडल किया जा सकेगा और सरकार के साथ उसकी बातचीत भी बेहतर होगी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सरकारी अफ़सरों ने बताया कि ट्विटर और भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के बीच हुई वर्चुअल बैठक के बाद यह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म इस बात के लिए राजी हुआ है। यह वर्चुअल बैठक बुधवार को हुई थी और इसमें मंत्रालय की ओर से ये बदलाव करने पर जोर दिया गया था।
इस बैठक में सरकार की ओर से कहा गया था कि ट्विटर ऐसे लोगों के पक्ष में है जो अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरुपयोग करते हैं और सरकार के आदेशों के ख़िलाफ़ अशांति का माहौल बनाते हैं।
बैठक में भारत सरकार की ओर से इसे लेकर नाराज़गी जताई गई थी कि ट्विटर ने उसके आदेश का पूरी तरह पालन नहीं किया। 4 फरवरी को आईटी मंत्रालय की ओर से ट्विटर को 1178 अकाउंट्स की सूची भेजी गई थी और कहा गया था कि इन्हें भारत में सस्पेंड या ब्लॉक किया जाए। लेकिन ट्विटर ने कहा था कि भारत के क़ानूनों के अनुसार, इन अकाउंट्स को बंद करना मौलिक अधिकारों का हनन होगा। सरकार की नाराज़गी इसी को लेकर थी।
सरकार ने ट्विटर के अफ़सरों से यह भी कहा था कि किसान आंदोलन को लेकर विदेशों में सोशल मीडिया पर चल रहे अभियान की वजह से भारत में अशांति का माहौल बन रहा है और ट्विटर को ऐसे भारत विरोधी अभियान के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।
ट्विटर और भारत सरकार के बीच विवाद पर देखिए वीडियो-
वर्चुअल बैठक में मौजूद रहे एक अफ़सर के मुताबिक़, सरकार ने कहा कि, “ट्विटर इस मामले में जज, पंचायती की भूमिका में नहीं हो सकता कि वह भारत के क़ानूनों के बारे में क्या सोचता है। अगर उसे सरकार की ओर से भेजे गए नोटिसों से कोई दिक्कत है तो इसके लिए पूरी व्यवस्था बनी हुई है।”
बैठक के दौरान ट्विटर की ओर से बताया गया कि उसने सरकार की ओर से कंटेंट को लेकर जो मुद्दे उठाए गए थे, उनमें से 95 फ़ीसदी पर एक्शन ले लिया है और बाक़ी बचे विवादित कंटेंट को भी हटा देगा।
बुधवार को ट्विटर ने कहा था कि उसने आईटी मंत्रालय के नोटिस पर 500 से ज़्यादा अकाउंट्स को सस्पेंड किया है। हालांकि उसने यह भी कहा था कि उसने न्यूज़ मीडिया से जुड़े, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है।
इन दिनों आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का वह बयान वायरल हो रहा है, जिसमें वह संसद में कहते हैं, “चाहे वह ट्विटर हो, फ़ेसबुक हो, वॉट्स ऐप हो या कोई और इन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को भारत के क़ानून और संविधान का पालन करना होगा।”
वर्चुअल बैठक में भारत सरकार ने ट्विटर से कहा था कि अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा और गणतंत्र दिवस के दिन लाल क़िले पर हुई हिंसा के मामले में उसका रूख़ अलग है। आईटी मंत्रालय ने कहा था कि एक व्यावसायिक इकाई के रूप में भारत में ट्विटर का स्वागत है लेकिन उसे भारत के क़ानून और लोकतांत्रिक संस्थाओं का हर हाल में सम्मान करना होगा।