ट्रम्प ट्रेड वॉरः मंदी की आशंका के बीच वॉल स्ट्रीट से लेकर भारत तक क्यों असर

02:12 pm Mar 11, 2025 | सत्य ब्यूरो

भारतीय निर्यात फरवरी में अमेरिकी टैरिफ धमकियों से बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारत सरकार के सरकारी सूत्रों ने  रॉयटर्स को मंगलवार 11 मार्च को यह जानकारी दी। सरकारी अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल मार्केट की अनिश्चितता और डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा अमेरिका को शिपमेंट पर टैरिफ की धमकी के बीच भारत अब नीति में बदलाव करने जा रहा है। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को शुरुआती कारोबार में 300 प्वाइंट्स तक गिरा। हालांकि बाद में संभला लेकिन यूएस का वॉल स्ट्रीट और अन्य देशों के बाजार सोमवार को बुरी तरह लुढ़क गये।

पूरी दुनिया में निवेशकों को आशंका है कि भारत, कनाडा, मैक्सिको और चीन पर उनकी आक्रामक टैरिफ नीतियां अमेरिका को मंदी की ओर धकेल सकती हैं, जिससे वैश्विक वित्तीय बाजारों में व्यापक अनिश्चितता पैदा हो गई है।अमेरिकी बाजार में टेक्नोलॉजी शेयरों को सबसे ज्यादा झटका लगा। नैस्डैक कंपोजिट ने 2022 के बाद से अपना सबसे खराब दिन देखा, जिसमें 4% की गिरावट दर्ज की गई। टेस्ला के शेयर 15.4% गिरे, जबकि एआई चिप दिग्गज एनवीडिया के शेयर 5% से अधिक गिरे। मेटा, अमेज़न और अल्फाबेट जैसे अन्य टेक दिग्गजों के शेयरों में भी तेज गिरावट देखी गई।

व्हाइट हाउस के अधिकारी ने एसोसिएटेड प्रेस (एपी) से बात करते हुए बाजार की प्रतिक्रिया को कम करके आंकने की कोशिश की और कहा, "हम शेयर बाजार की गतिविधियों और वास्तविक आर्थिक दृष्टिकोण के बीच एक मजबूत अंतर देख रहे हैं।" लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि दुनिया के बाजार फिलहाल डूब रहे हैं।

ट्रम्प की टिप्पणी से डर क्यों पैदा हुआः फॉक्स न्यूज के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, ट्रम्प ने अपनी व्यापार नीतियों का बचाव करते हुए कहा, "यह एक संक्रमण काल है। हम अमेरिका में धन वापस ला रहे हैं।" हालांकि, आर्थिक विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि बढ़ते टैरिफ महंगाई को बढ़ा सकते हैं और विकास को धीमा कर सकते हैं। एक निवेश प्रबंधक रेचल विंटर ने बीबीसी को बताया, "ट्रम्प जो टैरिफ लगा रहे हैं, उससे महंगाई बढ़ना अनिवार्य है।"

ट्रम्प ने क्या कहा?फॉक्स न्यूज के साथ बात करते हुए ट्रम्प ने इस आशंका को खारिज करने से इनकार कर दिया कि उनकी व्यापार नीतियों से आर्थिक मंदी आ सकती है। उन्होंने कहा, "यह एक संक्रमण काल है क्योंकि हम जो कर रहे हैं वह बहुत बड़ा है। हम अमेरिका में धन वापस ला रहे हैं। यह एक बड़ी बात है।" व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देशाई ने एपी न्यूज को बताया, "राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में नौकरी, मजदूरी और निवेश में वृद्धि दर्ज की थी, और वे फिर से ऐसा करने के लिए तैयार हैं।" हालांकि, वित्तीय विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि बाजार की प्रतिक्रिया से अनिश्चितता बढ़ने का संकेत मिलता है।

ट्रम्प की टिप्पणी का नतीजा यह निकला कि मार्केट में बिकवाली तेज हो गई। वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट दर्ज की गई। टेस्ला के शेयर 15.4% गिरे, जबकि एनवीडिया जैसे प्रमुख टेक फर्मों के शेयर 5% से अधिक गिरे, मेटा, अमेज़न और अल्फाबेट के शेयरों में भी तेज गिरावट देखी गई। एशियाई बाजार पर बीबीसी न्यूज ने बताया कि जापान का निक्केई 225 2.5% गिरा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2.3% गिरा, और ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 प्रारंभिक कारोबार में 1.8% गिरा।

आगे क्या होगा

बीबीसी ने अर्थशास्त्री मोहम्मद एल-एरियन को कोट करते हुए कहा कि निवेशकों को शुरू में ट्रम्प की डीरेग्युलेशन और टैक्स में कटौती की योजनाओं को लेकर भारी उम्मीदें थीं, लेकिन उन्होंने व्यापार युद्ध की संभावना को कम आंका। कनाडाई स्टील और एल्युमिनियम पर अतिरिक्त टैरिफ लगने की उम्मीद के साथ, निवेशकों को और अस्थिरता का डर है। बीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है, और विश्लेषकों को आने वाले महीनों में और आर्थिक उथल-पुथल की आशंका है।

भारतीय निर्यातक दबाव में

अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे व्यापार भागीदारों द्वारा अपनाई जा रही आक्रामक नीतियों के कारण भारतीय निर्यातकों पर दबाव बढ़ रहा है। रॉयटर्स का कहना है कि भारत सरकार एक महीने के भीतर निर्यातकों को प्रोत्साहन देने पर निर्णय ले सकती है। नये वित्त वर्ष के लिए बजट में पहले ही धन आवंटित किया जा चुका है। हालांकि सरकार ने रॉयटर्स को अधिकृत टिप्पणी नहीं दी है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले गुरुवार को कहा था कि अमेरिकी टैरिफ का असर भारत पर महसूस किया जाएगा। ट्रम्प ने इससे पहले भारत को सबसे बड़ा टैक्स लादने वाला देश बताया था। इसलिए ट्रम्प ने कहा कि हम भी भारत पर टैक्स लगायेंगे। इसके बाद हालात बदतर होते चले गये।

(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)