कोरोना का अब एक नया ख़तरा उभर रहा है। ‘डबल म्यूटेंट’ पर शोध अभी व्यवस्थित ढंग से हुआ भी नहीं है कि ट्रिपल म्यूटेंट के केस आए हैं। कहा जा रहा है कि डबल म्यूटेंट में ही एक नये म्यूटेंट के संकेत मिले हैं। यही ट्रिपल म्यूटेंट है।
ट्रिपल म्यूटेंट का मतलब है कि तीन अलग-अलग म्यूटेंट का समावेश। यह भी कोरोना का एक स्ट्रेन या यूँ कहें तो एक प्रकार है। जब कोरोना वायरस फैलता है तो म्यूटेट यानी अपनी नकल बनाता जाता है और इस प्रक्रिया में कई बार हूबहू वही नकल नहीं बना पाता है। यानी नये क़िस्म के रूप में कोरोना वायरस आ जाता है और फिर यह इसी रूप में भी फैलने लगता है। ट्रिपल म्यूटेंटे भी ऐसा ही एक नये प्रकार का कोरोना है।
ट्रिपल म्यूटेंट के ये मामले दूसरी लहर का सामना कर रहे महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ से लिए गए सैंपलों में मिले हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि ट्रिपल म्यूटेंट शरीर की इम्यूनिटी को बायपास करने यानी सुरक्षा कवच को भेदने में ज़्यादा सक्षम हो सकता है। इसका साफ़ मतलब होगा कि यह स्थिति ज़्यादा ख़तरनाक होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में कोरोना संक्रमण के जो ताज़ा हालात हैं उसमें भारत में ही पाए गए कोरोना के नये स्ट्रेन ‘डबल म्यूटेंट’ का हाथ हो सकता है। हालाँकि, इसकी स्पष्ट तौर पर पुष्टि नहीं हो पाई है।
भारत में जो 'डबल म्यूटेंट' है उसका सीधा मतलब यह है कि इसमें दो म्यूटेंट हैं। इसमें से एक म्यूटेंट ई484क्यू है और दूसरा एल452आर। इन दोनों म्यूटेंट जब अलग-अलग होते हैं तो इनकी पहचान ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाले के तौर पर की गई है और ये कुछ हद तक टीकाकरण या कोरोना ठीक होने से बनी एंटीबॉडी को मात भी दे देते हैं।
दुनिया भर में विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के जो नये स्ट्रेन आ रहे हैं वे तेज़ी से संक्रमण फैलाने के प्रमुख कारक हो सकते हैं। भारत में कोरोना की जो दूसरी लहर है वह पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैल रही है और कहीं ज़्यादा घातक साबित हो रही है।
बता दें कि देश में कोरोना संक्रमण के अब रिकॉर्ड क़रीब तीन लाख केस आ गए हैं। मंगलवार को एक दिन में 2 लाख 95 हज़ार 41 पॉजिटिव केस आए और 2023 लोगों की मौत हुई। यह एक दिन में सबसे ज़्यादा आँकड़ा है। यह लगातार सातवाँ दिन है जब कोरोना पॉजिटिव केस के 2 लाख से ज़्यादा मामले आए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार एक दिन में 1 लाख 67 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना से ठीक हुए। देश में अब तक 1 लाख 82 हज़ार 553 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक 1 करोड़ 56 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। देश में सक्रिय मामले अब बढ़कर 21 लाख 57 हज़ार से ज़्यादा हो गए हैं।
इसी साल 24 मार्च को केंद्र सरकार ने कहा था कि देश में एक नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है- डबल म्यूटेंट। तब कहा गया था कि इससे संक्रमित लोग देश के 18 राज्यों में पाए गए।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में ही इस नये स्ट्रेन का पता चला था लेकिन जीनोम सिक्वेंसिंग के बारे में नवंबर से लेकर जनवरी तक कोई ख़ास प्रयास नहीं किया गया। यह वह दौर था जब देश में संक्रमण के मामले काफ़ी कम आ रहे थे।
इसी का नतीजा यह हुआ कि देश में पहले छह महीनों में जब कुछ जीनोम सिक्वेंसिंग की गई थी तब तक चीन, इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देशों में हज़ारों जीनोम सिक्वेंसिंग कर ली गई थीं।
बता दें कि इस साल जनवरी में सरकार ने 10 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग के प्रयास को तेज़ करने के लिए भारतीय SARS-CoV2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की स्थापना की।
हालाँकि, फ़रवरी में INSACOG के काम शुरू करने के बाद से जीनोम सिक्वेंसिंग में सुधार आया है, लेकिन अभी भी देश भर में क़रीब 13,000 जीनोम सिक्वेंसिंग ही की गई है। यह अभी भी पर्याप्त नहीं है। INSACOG को इसलिए बनाया गया है कि हर रोज़ आ रहे नए मामलों के पाँच प्रतिशत जीनोम सिक्वेंसिंग की जाए। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। बता दें कि हर दिन 2.5 लाख से अधिक नए मामले आ रहे हैं। इस हिसाब से क़रीब 12500 सैंपल भेजे जाने चाहिए जबकि वास्तविकता यह है कि 1 फ़ीसदी से भी कम सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग हो रही है।