पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में 100 आतंकवादी घात लगाए बैठे हैं ताकि वे मौक़ा मिलते ही भारत में घुस जाएँ और जम्मू-कश्मीर के अलावा दिल्ली जैसे कई दूसरे शहरों पर ताबड़तोड़ और बड़े हमले कर सकें। ख़ुफ़िया एजेन्सियों ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि पाक-अधिकृत कश्मीर की लीपा घाटी में 100 आतंकवादी घात लगाए बैठे हैं। इनमें कई अफ़ग़ान मूल के हैं।
पाक एसपीजी आतंकवादियों की मदद में
ख़ुफ़िया जानकारी यह भी है कि पाकिस्तान स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी के कमान्डो छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट कर भारत के तंगधार, केरन और पुंछ के ठीक सामने के पीओके के इलाक़े में बैठे हुए हैं और मौके की तलाश में है।
पीओके के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मुहम्मद की एक बड़ी बैठक हुई। इसमें गुट के सरगना मसूद अज़हर के रिश्तेदार और सारा कामकाज देखने वाले अब्दुल रऊफ़ असगर भी मौजूद था।
जैश मुख्यालय पर फ़ैसला
उसने ही 19 और 20 अगस्त को हुई इस बैठक में यह योजना बचनाई कि कम से कम 100 बेहद खूंखार और प्रशिक्षित आतंकवादियों को भारत भेजा जाए। उनसे ही पीओके में आतंक के लॉन्च पैड देख रहे लोगों से कहा कि वे इन आतंकवादियों को भारत में घुसने की व्यवस्था करें।ख़ुफ़िया जानकारी के मुताबिक़ पाकिस्तान की योजना यह है कि वह सीमा पर बगैर किसी उकसावे के ही बड़े पैमाने पर गोलीबारी कराए और उसकी आड़ में आतंकवादियों को भारत में दाखिल करा दे। भारत की सीमा के अंदर हमले करने में एसपीजी के लोग आतंकवादियों की मदद करें और मौका मिलते ही लौट जाएँ। आतंकवादी अंदर घुस कर जम्मू-कश्मीर में शरण लें और वहाँ हमले करें। उसके बाद वे आगे बढ़ कर शेष भारत में जहाँ-तहाँ हमले करें।
समझा जाता है कि बीते लगभग छह महीने से भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने की वजह से स्थानीय लोगों की भर्ती में अड़चनें आ रही हैं, स्थानीय आतंवादी रंगरूटी की तादाद गिरती जा रही है।
पाक नियंत्रण
इससे परेशान पाकिस्तान ने अपने यहाँ के आतंकवादियों को भेजने की योजना बनाई है ताकि वह लोगों का मनोबल बढ़ाएँ और बड़े पैमाने पर हमले कर यह संकेत दें कि उनका नियंत्रण बना हुआ है।इस मक़सद से पाकिस्तान ने जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज़बुल मुजाहिदीन को एकजुट किया। ये तीनों संगठन अलग-अलग काम करते हैं, उनकी बीच भारत-विरोध ही एक समान चीज है। पाकिस्तान ने इन तीनों को एकजुट कर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के अलावा उसे लंबे समय तक चलाने की योजना बनाई है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे पाकिस्तान को तुरन्त फ़ायदा यह होगा कि बड़े आतंकवादी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर का मुद्दा उठेगा।
इसका फ़ायदा उठा कर पाकिस्तान यह दबाव बना सकेगा कि जब तक कश्मीर समस्या का समाधान नहीं होता, इस तरह की वारदात होती रहेगी। फिर तुरन्त पाकिस्तान सरकार भारत से बातचीत करने का प्रस्ताव पेश कर देगी। इस तरह वह कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जीवित भी रख सकेगा और भारत पर दबाव भी बना सकेगा। इसके साथ ही वह जम्मू-कश्मीर में विद्रोह की आग को सुलगाए रखेगा और स्थानीय आतंकवादियों का मनोबल बढाए हुए रखेगा।