मलयालम फ़िल्म इंडस्ट्री में तहलका मचाने वाले यौन उत्पीड़न के आरोपों की चपेट में अब तमिल फिल्म इंडस्ट्री भी आती दिख रही है। एक अभिनेत्री ने दावा किया है कि तमिल फिल्म इंडस्ट्री में भी यौन उत्पीड़न बड़े पैमाने पर होता है। ऐसे आरोपों के बीच तमिल फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न और मानसिक शोषण की शिकायतों की जांच के लिए जल्द ही एक समिति का गठन किया जाएगा।
इसकी घोषणा लोकप्रिय अभिनेता विशाल ने की। विशाल नादिगर संगम के नाम से जाने जाने वाले दक्षिण भारतीय कलाकार संघ के महासचिव भी हैं। यह घोषणा पड़ोसी मलयालम फिल्म उद्योग में हाल ही में हुए घटनाक्रमों के मद्देनजर फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ व्यवहार को लेकर बढ़ती चिंताओं के बाद की गई है।
मलयालम सिनेमा में उठे 'MeToo' अभियान के तूफान के बड़े-बड़े शिकार बन रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी एक्टर्स यानी एएमएमए के कई सदस्यों पर यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप लगे हैं। हाल के कुछ दिनों में ऐसे आरोपों की बाढ़ सी आ गई है। इस मामले में कई एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। एक अभिनेत्री की शिकायत के बाद अभिनेता जयसूर्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। दो दिन पहले ही 28 अगस्त को अभिनेत्री मीनू मुनीर की शिकायत के बाद अभिनेता और कोल्लम से सीपीआई (एम) विधायक मुकेश एम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
'मीटू' अभियान को लेकर ही अभिनेता मोहनलाल ने एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी एक्टर्स यानी एएमएमए के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। फिल्म एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सभी सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया है। एएमएमए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था ने नैतिक जिम्मेदारी ली है और कुछ अभिनेताओं द्वारा समिति के कुछ सदस्यों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के मद्देनजर खुद को भंग कर लिया है। एएमएमए ने कहा कि नई समिति बनाने के लिए चुनाव दो महीने के भीतर होंगे।
पिछले हफ़्ते जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद मलयालम फ़िल्म उद्योग के वरिष्ठ लोगों पर यौन शोषण की शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसमें शोषण की कई चौंकाने वाली कहानियाँ शामिल हैं। रिपोर्ट 2019 में केरल सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन फिर उसे दबा दिया गया था। फ़िल्म उद्योग के सदस्यों की ओर से कानूनी चुनौतियों को दूर करने के बाद इसे इस महीने सार्वजनिक किया गया।
मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के शोषण, सत्ता के दुरुपयोग और लॉबिंग के मामलों के साथ यौन उत्पीड़न को लेकर हेमा कमेटी गठित की गई थी। 296 पन्नों की रिपोर्ट आखिरकार 19 अगस्त को सार्वजनिक की गई।
इसमें इंडस्ट्री की कई महिलाओं की गवाही शामिल है। कुछ जगहों पर रिपोर्ट में महिलाओं की जगह लड़कियों का भी ज़िक्र है, जिससे पता चलता है कि नाबालिग भी यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं।
अब तमिलनाडु में फिल्म इंडस्ट्री में भी ऐसे ही आरोप लगने शुरू हुए हैं। मशहूर अदाकारा और टेलीविजन धारावाहिक निर्माता कुट्टी पद्मिनी ने अब तमिल टेलीविजन शो उद्योग में बड़े पैमाने पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और कहा है कि इस वजह से कई महिलाओं ने आत्महत्या कर ली है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग द्वारा गायिका चिमायी और अभिनेता रेड्डी पर लगाए गए प्रतिबंध पर भी चिंता जताई, जिन्होंने पहले भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
उन्होंने कहा, "यह किसी भी अन्य पेशे की तरह ही है - डॉक्टर, वकील, आईटी व्यक्ति। इसे देह व्यापार क्यों होना चाहिए? यह बहुत गलत है।' कुट्टी पद्मिनी ने कहा, 'निर्देशक और तकनीशियन टीवी धारावाहिकों में महिला कलाकारों से यौन संबंध बनाने की मांग करते हैं।' उन्होंने कहा, 'कई महिलाएं शिकायत नहीं करती हैं क्योंकि यौन उत्पीड़न साबित नहीं किया जा सकता। कुछ महिलाएं इसे बर्दाश्त कर लेती हैं क्योंकि वे अच्छी कमाई करती हैं।'
अभिनेता विशाल ने संवाददाताओं से कहा कि इस तरह के आरोपों से निपटने के लिए एक औपचारिक तंत्र की ज़रूरत है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'हम अगले दस दिनों में दस सदस्यीय समिति का गठन करेंगे। नादिगर संगम का कर्तव्य है कि वह उद्योग में महिलाओं की चिंताओं को सुने और उनका समाधान करे।' उन्होंने कहा कि नादिगर संगम केवल पुरुषों के लिए नहीं है, महिलाएं भी फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
अभिनेता जयसूर्या, सिद्दीकी और सीपीआई (एम) विधायक और अभिनेता मुकेश जैसे जाने-माने लोगों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बारे में पूछे जाने पर विशाल ने कहा, 'अगर किसी व्यक्ति ने कोई गलत काम किया है, तो उसे निश्चित रूप से इसके लिए जेल जाना चाहिए।' उन्होंने पूछा कि एक महिला की ज़िंदगी बर्बाद करने के बाद वे कैसे अच्छी ज़िंदगी जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने पापों की सज़ा भुगतनी चाहिए।