किसी की बीमारी का मज़ाक उड़ाना बेहद ख़राब माना जाता है। और जो कोई भी ऐसा करता है लोग उसके बारे में अच्छी राय नहीं रखते हैं। लेकिन अफ़सोस यह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा ही कुछ किया है।
मोदी ने एक कार्यक्रम में डिस्लेक्सिया बीमारी से पीड़ित बच्चों का जिक़्र आने पर अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और उनकी माँ व यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी पर हमला किया है। प्रधानमंत्री की इस हरक़त का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हो गया है।
क्या है डिस्लेक्सिया
पहले आपको बताते हैं कि डिस्लेक्सिया बीमारी क्या है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, डिस्लेक्सिया कोई बीमारी नहीं है और न ही यह कोई मानसिक अयोग्यता है लेकिन हमारे देश में कई लोग डिस्लेक्सिया को मानसिक रोग से जोड़ते हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को शब्दों को पहचानने, पढ़ने, याद करने और बोलने में परेशानी आती है। ऐसे बच्चे कुछ अक्षरों और शब्दों को उल्टा पढ़ते हैं और कुछ अक्षरों का उच्चारण भी नहीं कर पाते।
इस बीमारी से पीड़ित बच्चे b को d समझ लेते हैं या 6 को 9 समझ लेते हैं। ऐसे बच्चों की पढ़ने की रफ़्तार भी दूसरे बच्चों की अपेक्षा काफ़ी कम होती है। भारत में यह बीमारी 3-15 साल के लगभग 3 फ़ीसदी बच्चों में पायी जाती है।
भारत में इस बीमारी के बारे में ज़्यादातर लोगों को तब पता चला जब जब आमिर ख़ान की फ़िल्म 'तारे ज़मीन पर' में एक बच्चा दर्शील सफारी जो इस बीमारी से पीड़ित था, उसके बारे में दिखाया गया था।
संभव है इलाज
ऐसा नहीं है कि डिस्लेक्सिया का इलाज नहीं है। बस, इसके लिए माता-पिता को बच्चों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। जितनी जल्दी इसका इलाज किया जाता है, उतना ही इसके ठीक होने की संभावना अधिक होती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर उनकी इन्द्रियों जैसे स्पर्श, दृष्टि और सुनने की क्षमता की जाँच की जाती है। इससे यह पता चलता है कि बच्चे के इलाज के लिए कैसा कार्यक्रम विकसित किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसे बच्चों को आत्मसम्मान और मार्गदर्शन दिया जाना बेहद ज़रूरी है। दुनियाभर में डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे इलाज के बाद ठीक भी हुए हैं।
कहा जाता है कि महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, टेलीफ़ोन के जनक एलेक्जेंडर ग्राहम बेल और अभिनेता टॉम क्रूज और बोमन ईरानी जैसी कुछ हस्तियाँ भी डिस्लेक्सिया से पीड़ित थे।
अब आपको लाते हैं मूल घटना पर। बीते शनिवार को 'स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2019' कार्यक्रम के लिए आयोजित वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में देहरादून की एक छात्रा प्रधानमंत्री को डिस्लेक्सिया की बीमारी से पीड़ितों बच्चों के लिए एक योजना के बारे में बता रही थी।
छात्रा बता रही थी कि उनकी योजना ऐसे बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री ने छात्रा को बीच में ही रोकते हुए पूछा, क्या किसी 40-50 साल के बच्चे के लिए भी यह योजना काम आएगी। मोदी के इतना कहते ही वहाँ मौजूद सभी छात्र-छात्राएँ जोर से हंसने लगते हैं। जवाब में छात्रा कहती है कि हाँ, काम आएगी। लेकिन मोदी यही नहीं रुकते, वह आगे कहते हैं, 'इससे तो ऐसे बच्चों की माँ बहुत खुश हो जाएगी।' जिसके बाद छात्र-छात्राएँ फिर से हंसने लगते हैं।
राहुल-सोनिया पर हमला कैसे
अब सवाल यह उठता है कि यह कैसे कहें कि प्रधानमंत्री का इशारा राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी की ओर था। आइए, बताते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने बयान में 40-50 साल के बच्चे की उम्र का जिक़्र किया है, राहुल गाँधी की उम्र अभी 48 साल है, इसलिए उनका यह बयान राहुल के लिए ही है, यह साबित होता है। दूसरी बात यह कि प्रधानमंत्री संसद में अपने भाषण में राहुल पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए कह चुके हैं, ‘कुछ लोगों की उम्र तो बढ़ती है, लेकिन समझ नहीं बढ़ती है। तो समझने में बड़ी देर लग जाती है और इसलिए चीजें समझने में बड़ा समय लगता है। कुछ लोग तो समय बीतने के बाद भी चीजें समझ नहीं पाते।’ प्रधानमंत्री के इस बयान को सुनने और पढ़ने के बाद पूरी तरह लगता है कि उन्होंने डिस्लेक्सिया बीमारी का बयान राहुल के लिए ही दिया है। और तीसरी बात यह कि इस कार्यक्रम में अपनी बात कहने के बाद प्रधानमंत्री जिस तरह बेहद कुटिल मुस्कान के साथ हंसे हैं, उससे भी यह साबित होता है कि उनका इशारा अपने राजनीतिक विरोधी राहुल गाँधी को नीचा दिखाने के लिए लिए ही है। प्रधानमंत्री के मुँह से सोनिया गाँधी के लिए भी कई बार अपमानजनक टिप्पणियाँ निकली हैं और सोनिया भी उनकी राजनीतिक विरोधी हैं, इसलिए ऐसा कहना कि ऐसी किसी योजना से डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों की माँ ख़ुश हो जाएगी, यह भी अप्रत्यक्ष रूप से सोनिया गाँधी पर हमला है।
बयान के लिए माफ़ी माँगें मोदी
प्रधानमंत्री के इस बयान पर दिव्यांगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एनपीआरडी ने कड़ा विरोध जताया है। संस्था ने कहा है कि प्रधानमंत्री को इस बयान के लिए माफ़ी माँगनी चाहिए। संस्था ने कहा है, ‘प्रधानमंत्री को किसी भी सूरत में इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था। इससे पता चलता है कि दिव्यांगों के लिए उनकी सोच कितनी तुच्छ है और यह दिव्यांग क़ानून, 2016 के मुताबिक़ एक अपराध है।’
प्रधानमंत्री के बयान का वीडियो सुनने के बाद कहा जा सकता है कि उन्होंने यह हरक़त जानबूझकर कर की, अपने राजनीतिक विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए की इसलिए अच्छा तो यह होता कि बजाय इसके कि बात को दूसरी जगह मोड़ने के, प्रधानमंत्री डिस्लेक्सिया बीमारी से पीड़ित बच्चों की भावनाएँ समझते हुए छात्रा के द्वारा बताई जा रही योजना की सराहना करते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।