अपने घरों से दूर दूसरे राज्यों और शहरों में फँसे मज़दूरों और दूसरे आप्रवासियों के लिए अच्छी ख़बर है। केंद्र सरकार ने कहा है कि ऐसे जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे वे लॉकडाउन के दौरान भी अपने घर जा सकते हैं। केंद्र सरकार ने इस मामले में नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
गृह मंत्रालय के इस नये दिशा निर्देश में राज्यों से कहा गया है कि वे अपनी-अपनी नोडल एजेंसी तैयार करें और आप्रवासियों को ले जाने के लिए प्रोटोकॉल तैयार करें। जिस व्यक्ति को एक से दूसरी जगह ले जाया जाएगा उसकी स्क्रीनिंग होगी और कोरोना का कोई भी लक्षण नहीं दिखने पर ही जाने दिया जाएगा। इन आप्रवासियों में मज़दूर, छात्र, पर्यटक, श्रद्धालु सभी आएँगे।
इस आदेश में कहा गया है कि लोगों को लाने ले जाने के लिए बसों को अंतरराज्यीय आवागमन के लिए मंजूरी दी जाएगी। इसके साथ ही साफ़-साफ़ यह भी कहा गया है कि हर ट्रिप के बाद बसों को सैनिटाइज किया जाएगा। अभी तक केंद्र सरकार ने ट्रेन चलाने से इनकार किया है। यानी ऐसे लोगों को बस में ही यात्रा करनी पड़ेगी।
बता दें कि सरकार का यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब 3 मई तक के लिए लागू लॉकडाउन की अवधि ख़त्म होने वाली है और पंजाब, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों ने कहा है कि वे लॉकडाउन को बढ़ाएँगे। लॉकडाउन के बीच ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने तो दूसरे राज्यों में फँसे लोगों को पहले से ही वापस अपने गृह राज्य लाने का कार्य शुरू कर दिया है। इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आप्रवासियों को वापस अपने गृह राज्य लाने के अनिच्छुक दिखते रहे हैं। उन्होंने इस संदर्भ में कई बार कहा है कि यदि ऐसे लोगों को दूसरे राज्यों से वापस लाया जाएगा तो यह लॉकडाउन का उल्लंघन होगा। इसे लिए वह विपक्ष के निशाने पर भी रहे हैं।
सरकार का यह फ़ैसला लॉकडाउन शुरू होने के करीब़ पाँच हफ़्ते बाद आया है। 24 मार्च को 21 दिन के लिए पहले लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही अधिकतर आप्रवासी मज़दूर, छात्र और दूसरे लोग फँसे हुए हैं। हालाँकि लॉकडाउन की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने-अपने घरों की ओर चल दिए थे। इनमें से कई लोगों की रास्ते में ही मौत की ख़बरें भी आईं। इस बीच इस लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया। फ़िलहाल कोरोना वायरस पर देश में स्थिति बेहतर नहीं हुई है और माना जा रहा है कि इस लॉकडाउन को फिर बढ़ाया जाएगा। इसी बीच इन मज़दूरों को अपने-अपने घर जाने देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
ऐसे लाखों लोग हैं जो शहरों में काम बंद होने के बाद जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में हैं। लॉकडाउन शुरू होने पर तो बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे थे, लेकिन अब सख़्ती के बाद ऐसा कम ही मामला सामने आ रहा है। काम बंद होने के कारण ग़रीब मज़दूरों को शहर में रहना ज़्यादा ही मुश्किल हो रहा है। ऐसे लोगों के पास सबसे बड़ा संकट खाने को लेकर है। भूखे रहने की नौबत आने पर कुछ लोग अभी भी हज़ार-हज़ार किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए जोखिम उठा रहे हैं। हालाँकि, सरकारों ने अपनी-अपनी तरफ़ से खाने-पीने की व्यवस्था करने के दावे किए हैं और सरकार ने भी राहत पैकेज की घोषणा की है। लेकिन ऐसी लगातार रिपोर्टें आ रही हैं कि ये नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं।