कोरोना वैक्सीन का 'ड्राई रन' 2 जनवरी को सभी राज्यों में शुरू किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है। इससे पहले 28 दिसंबर को चार राज्यों में दो दिन के लिए 'ड्राई रन' किया गया था। 'ड्राई रन' से मतलब है टीकाकरण अभियान से पहले की तैयारी। और साफ़ कहें तो यह एक पूर्वाभ्यास है। यह देखने के लिए कि टीकाकरण अभियान के लिए वैक्सीन को स्टोर करने, एक जगह से दूसरी जगह ढोने, सुरक्षित रखने जैसी व्यवस्था दुरुस्त है या नहीं।
केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे ड्राई रन संचालित करें। कुछ राज्यों को वैसे ज़िलों को भी शामिल करना होगा जो दूर-दराज के क्षेत्रों में हैं और जहाँ सुविधाएँ उतनी दुरुस्त नहीं हैं।
DCGI से जानिए, वैक्सीन को मंजूरी कब?
कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की नये साल में मंजूरी मिलने का क्या मतलब हो सकता है? पहली जनवरी, पहला हफ़्ता या पहला महीना? कहीं इसका मतलब पहली जनवरी से ही तो नहीं है? इसके संकेत कई तरह से मिलते हैं। वैक्सीन को मंजूरी देने वाली आख़िरी संस्था ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया से लेकर, विशेषज्ञ पैनल तक और एम्स के निदेशक से लेकर प्रधानमंत्री तक के बयानों में भी।
ताज़ा संकेत जिस बयान से मिला है वह है ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई के अधिकारी का। आज एक वेबिनार में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल डॉ. वीजी सोमानी ने कहा कि 'नये साल में संभवतः हमारे हाथ में कुछ होगा'। उनकी यह प्रतिक्रिया कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को लेकर विशेषज्ञ पैनल की शुक्रवार को होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले आया है। शुक्रवार को ही पहली जनवरी है।
आज ही यानी गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि कोरोना के ख़िलाफ़ टीकाकरण कार्यक्रम के लिए तैयारी अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि लोगों को भारत में निर्मित वैक्सीन मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, "मैं कहता था कि 'जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं'। लेकिन अब 2021 के लिए हमारा मंत्र होना चाहिए: दवाई भी, कड़ाई भी।"
इसी महीने आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए जिन तीन वैक्सीन के लिए और आँकड़े माँगे गए थे उनमें से एक वैक्सीन को मंजूरी मिलने की संभावनाएँ तब बढ़ गईं जब ब्रिटेन में ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन को मंजूरी मिल गई।
ब्रिटेन में इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने की इस ख़बर के बाद एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि गिने-चुने दिनों में ही इस वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल सकती है।
कोरोनो वायरस वैक्सीन के लिए आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आए आवेदनों पर बुधवार को सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों के पैनल ने विचार-विमर्श किया। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि आँकड़ों का विश्लेषण जारी है और पैनल शुक्रवार को फिर से बैठक करेगा। एक बार जब विशेषज्ञ पैनल द्वारा वैक्सीन को हरी झंडी मिल जाएगी तो अंतिम मंजूरी के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई में आवेदन भेजा जाएगा।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में जिन तीन कंपनियों ने वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था उन्होंने वैक्सीन से जुड़ी पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई थी। इसीलिए किसी को भी तब मंजूरी नहीं मिली। उन कंपनियों से कहा गया था कि वे वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े पूरे आँकड़े लेकर फिर से आएँ और तब इस पर विचार किया जाएगा।
आवेदन करने वाली तीनों कंपनियों में से एक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया है जिसने इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी व फ़ार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के साथ क़रार किया है।
दूसरी कंपनी देश में कोरोना वैक्सीन निर्मित करने वाली भारत बायोटेक है। विशेष कमेटी ने इन दोनों को कहा था कि वे आख़िरी चरण के ट्रायल में आए सुरक्षा और प्रभाविकता के आँकड़े लेकर आएँ। तीसरी अमेरिका की कंपनी फ़ाइज़र है जिसने आँकड़े जमा करने के लिए और समय माँगा।
शायद सकारात्मक संकेतों को देखकर ही सीरम इंस्टीट्यूट ने पहले से ही बड़ी संख्या में वैक्सीन बनानी शुरू कर दी है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका शॉट की लगभग 5 करोड़ खुराक पहले ही तैयार कर ली गई है और अगले साल मार्च तक इसे 10 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है।