भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने मंगलवार को कहा है कि वह उसके ऊपर चढ़ा 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज नहीं चुका पाएगा। बता दें कि श्रीलंका में हालात बेहद खराब हैं और ईंधन, दवाएं, खाने का सामान सहित अन्य जरूरी चीजों के लिए लोग बेहद परेशान हैं और सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
श्रीलंका सरकार के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इस विदेशी कर्ज में विदेशी सरकारों से लिया गया लोन भी शामिल है और यह कदम हालात को और खराब होने से रोकने के लिए उठाया गया है।
श्रीलंका में हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि बीते दिनों वहां आपातकाल लगाना पड़ा था। सरकार की कोशिश इसके जरिए लगातार बढ़ रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकने की थी लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी हैं और कुछ दिन बाद सरकार को खुद ही आपातकाल हटाना पड़ा।
राजपक्षे सरकार ने संसद में बहुमत खो दिया था और विदेश मंत्री बनाए गए अली सबरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लगातार विरोध प्रदर्शनों के बाद श्रीलंका की सरकार के सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।
नार्वे और इराक ने श्रीलंका में स्थित अपने दूतावासों को बंद कर दिया था। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद और आईएमएफ ने कहा है कि वह श्रीलंका के राजनीतिक और आर्थिक हालात पर नजर रख रहे हैं।
ईंधन, खाने का सामान, दवाएं और दूसरी जरूरी चीजों की जबरदस्त किल्लत के खिलाफ लोग लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसे लेकर अभी तक सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
लोगों को पेट्रोल और डीजल तक मिलना मुश्किल हो गया है। बिजली का उत्पादन नहीं होने से हर दिन 10 घंटे से ज़्यादा का पावरकट लग रहा है। स्कूलों में परीक्षाएं ठप हैं।