किसान आन्दोलन में फूट, दो संगठन मोर्चा से अलग

08:13 pm Jan 27, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पिछले दो महीने से कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन में बुधवार को फूट पड़ गई जब दो किसान संगठनों ने इससे ख़ुद को अलग कर लिया। राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने आन्दोलन छोड़ वापस लौटने का एलान करते हुए कहा कि वे सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए आन्दोलन में शामिल हुए थे।  

राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के वी. एम. सिंह ने कहा, "न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिलने तक किसान आन्दोलन चलता रहेगा, पर इस तरह नहीं। हम यहाँ इसलिए नहीं आए हैं कि हमारे लोग शहीद हों या उनकी पिटाई की जाए।" 

क्या कहना है इन संगठनों का?

उन्होंने इसके आगे यह भी कहा, "हम उन लोगों के साथे आगे नहीं चल सकते जो आन्दोलन को दूसरी दिशा में ले जाना चाहते हैं।"

भारतीय किसान यूनियन (भानु) के नेता ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा, "दिल्ली में मंगलवार को जो कुछ हुआ, मैं उससे बहुत ही दुखी हूँ और इसलिए अपने आन्दोलन को ख़त्म कर रहा हूं।" 

भितरघात का आरोप

दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बोर्डर पर एक बैठक की और मंगलवार को हुई हिंसा पर चिंता जताई। उन्होंने बयान में कहा कि "यह हिंसा जिन लोगों ने की, वे सरदार नहीं, गद्दार हैं।"

मोर्चा ने बयान में भिरतघात और साजिश के आरोप भी लगाए। इसमें कहा गया है, 

"दीप सिद्धू सरकार का आदमी है। हमें साजिश को समझना होगा। ये लोग लाल किला कैसे पहुँच गए? पुलिस ने उन्हें क्यों नही रोका?"


संयुक्त किसान मोर्चा

साजिश का आरोप

साजिश रचने का आरोप कांग्रेस पार्टी ने भी लगाया है। पार्टी ने कहा है कि देश की राजधानी में किसान आंदोलन की आड़ में हुई सुनियोजित हिंसा और अराजकता के लिए सीधे-सीधे अमित शाह जिम्मेदार हैं। कांग्रेस ने कहा, "इस संबंध में तमाम ख़ुफिया इनपुट के बावजूद हिंसा के तांडव को न रोक पाने में नाकामी के चलते उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए।"

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने नरेंद्र मोदी सरकार और ख़ासकर अमित शाह को घेरा। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 73 सालों में यह पहला मौक़ा है कि जब कोई सरकार लाल क़िले जैसी राष्ट्रीय धरोहर की भी रक्षा करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा, "किसानों के नाम पर साज़िश के तहत चंद उपद्रवियों को लाल क़िले में घुसने दिया गया। और दिल्ली पुलिस कुर्सियों पर बैठी आराम फरमाती रही।" 

बता दें कि मंगलवार को किसानों की ट्रैक्टर परेड बेकाबू हो गई और हज़ारों किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर तयशुदा रूट से हट कर दिल्ली में दाखिल हो गए, जगह-जगह तोड़फोड़ हुई, लाठीचार्ज हुआ, आंसू गैस के गोले छोड़े गए। किसानों ने लाल किले पर चढ़ कर तिरंगा के साथ-साथ सिखों का पवित्र झंडा निशान साहिब भी फहरा दिया। एक किसान मारा गया और 18 पुलिसवाल घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराए गए।