कोरोना वायरस ने भारत ही नहीं, दुनिया भर में एक बार फिर से चिंताएँ बढ़ा दी हैं। इसकी बड़ी वजह यूरोप में अनियंत्रित हुआ कोरोना संक्रमण नहीं, बल्कि दक्षिण अफ़्रीका में आया नया वैरिएंट है। इस वैरिएंट के बारे में जो शुरुआती आकलन आया है वह कितना ख़तरनाक है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसको लेकर बैठक बुला सकता है और ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका की अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं। भारत में भी अलर्ट जारी किया गया है। ऐसे फ़ैसले तब लिए जा रहे हैं जब इस नये वैरिएंट वाले संक्रमण की पुष्टि दक्षिण अफ्रीका के अलावा बोत्सवाना और हांगकांग में भी हुई है।
दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों ने कोरोना के नये वैरिएंट की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि इसका म्यूटेशन बेहद असामान्य है। दक्षिण अफ़्रीका के इस नये वैरिएंट की जानकारी मिलने के बाद भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को कहा है कि उन तीन देशों से आने वाले या उनसे होकर गुजरने वाले यात्रियों का कड़ाई से जांच की जाए।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए पत्र में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि भारत के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र यानी एनसीडीसी ने सरकार से कहा है कि तीन देशों में कोविड-19 के एक वैरिएंट बी.1.1529 के कई मामले सामने आए हैं।
भूषण ने कहा, 'इस वैरिएंट में काफ़ी अधिक संख्या में म्यूटेशंस होने की सूचना है। हाल ही में वीजा प्रतिबंधों में ढील देने और अंतरराष्ट्रीय यात्रा को खोलने के मद्देनज़र देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है।'
नये वैरिएंट को इस तरह समझ सकते हैं कि जब पहली बार कोरोना का संक्रमण फैला था तो उसका एक ही रूप था और उसे कोविड-19 कहा जा रहा था। लेकिन धीरे-धीरे कोरोना अपना रूप बदलने लगा। यानी यह नये क़िस्म का कोरोना था। पिछले साल इन्हीं किस्मों को यूके वैरिएंट, दक्षिण अफ्रीका वैरिएंट जैसे नाम सामने आए थे।
डब्ल्यूएचओ ने नये-नये वैरिएंट के अलग-अलग नाम- अल्फा, बीटा, डेल्टा जैसे नाम दिए। भारत में दूसरी लहर के लिए डेल्टा वैरिएंट को ज़िम्मेदार माना जाता है।
पिछले साल कोरोना की पहली लहर के धीमा पड़ने के दौरान ही कोरोना के जो नये-नये स्ट्रेन सामने आ रहे थे उसमें से एक बी.1.617 था। यह सबसे पहले भारत में मिला। इसे ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट कहा गया क्योंकि यह फिर से तीन अलग-अलग रूप में- बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 फैला। इसी में से बी.1.617.2 को डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा नाम दिया है। अब तक कई देशों में इस वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं।
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने अब इन नये म्यूटेशंस पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन एक सटीक मूल्यांकन व्यापक जीनोम सिक्वेंसिंग के अध्ययनों पर आधारित होगा। दक्षिण अफ्रीका ने इस नये वैरिएंट पर चर्चा के लिए शुक्रवार को वायरस के विकास पर डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी समूह की तत्काल बैठक का अनुरोध किया है।
अब तक इस वैरिएंट के 22 मामले दक्षिण अफ़्रीका में, बोत्सवाना में 3 मामले और हॉन्ग कॉन्ग में 2 मामले आए हैं। हांगकांग का मामला दक्षिण अफ्रीका के एक यात्री का है। जिस होटल में वह यात्री रुका था उसमें एक और व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण अफ़्रीकी वैज्ञानिकों ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बी.1.1529 नाम से बुलाए जाने वाले इस वैरिएंट में पाए गए म्यूटेंट बेहद ख़तरनाक हैं क्योंकि वे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचने में मदद कर सकते हैं और इसे और अधिक संक्रामक बना सकते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में नये वैरिएंट के मिलने से इसलिए चिंता बढ़ी है कि यूरोप में पहले से ही काफ़ी ज्यादा आबादी को टीका लगाए जाने के बावजूद वहाँ संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। यूरोप में हाल में मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं और हर रोज़ क़रीब तीन लाख कोरोना संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे हैं। हर रोज़ क़रीब 3400 लोगों की मौतें भी हो रही हैं। सिर्फ़ यूरोप में ही 65 लाख से ज़्यादा कोरोना के सक्रिय मामले हैं।