फ़िल्म अदाकारा दीपिका पादुकोण जेएनयू में नक़ाबपोश गुंडों द्वारी की गई गुंडई के ख़िलाफ़ धरने पर बैठे जेएनयू के छात्रों के समर्थन में क्या पहुंच गईं, दक्षिणपंथी ट्रोल आर्मी से लेकर बीजेपी नेता और केंद्र सरकार के मंत्री तक उनके पीछे पड़ गये हैं। दीपिका के पुराने वीडियो को निकालकर शेयर किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि वह तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कह चुकी हैं। बीजेपी में अहम पदों पर बैठे कई नेताओं ने दीपिका को जेहादी, पाकिस्तान परस्त और टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थक बताया है।
दीपिका की फ़िल्म ‘छपाक’ में तेज़ाब पीड़िता पर हमले के मुख्य अभियुक्त नदीम ख़ान का नाम राजेश रखे जाने की फ़ेक न्यूज़ को ट्वीट कर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो बहुत बुरी तरह फंस गए थे। दक्षिणपंथी ट्रोल आर्मी ने इसे लेकर ख़ूब हंगामा किया था और ट्विटर पर ‘छपाक’ के बायकॉट का अभियान भी चलाया था। लेकिन दूसरी ओर से ‘छपाक’ के समर्थन में लोग उतरे और इसे लेकर सोशल मीडिया पर ख़ूब हंगामा हुआ।
अब इस विवाद में मोदी सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी भी कूद गई हैं। स्मृति ईरानी ने कहा है कि दीपिका ने 2011 में अपने राजनीतिक जुड़ाव के बारे में स्पष्ट कर दिया था कि वह कांग्रेस का समर्थन करती हैं।
ईरानी ने अंग्रेजी अख़बार ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की ओर से चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में दीपिका के जेएनयू में जाने को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह (दीपिका) ऐसे लोगों के साथ खड़े होना चाहती हैं जो सीआरपीएफ़ जवानों की मौत पर हर बार ख़ुशी जताते हैं, अगर वह (दीपिका) उन लोगों के साथ खड़े होना चाहती हैं, जो एक महिला की विचारधारा से असहमत होने पर उसके प्राइवेट पार्ट पर हमला करते हैं तो ऐसा करना है उनका अधिकार है। ईरानी ने कहा कि वह (दीपिका) अगर ऐसे लोगों के साथ खड़े होती हैं, जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ की बात कहते हैं तो यह उनका अधिकार है।
लेकिन बीजेपी को यहां यह बताना पड़ेगा कि जो दीपिका पादुकोण कभी उसके लिए देशभक्त थीं वह अचानक देशद्रोही, पाकिस्तानी, जेहादी कैसे हो गईं। 2013 में जब नरेंद्र मोदी बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे तब उन्होंने 18 से 24 साल के युवाओं को वोटिंग के प्रति जागरूक करने के लिए एक अभियान लांच किया था और दीपिका से अपील की थी कि वह इस अभियान में मदद करें। नवंबर, 2016 में जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की थी तो दीपिका ने उनके इस क़दम का समर्थन किया था और इसे असाधारण क़दम बताया था। तब तक दीपिका को यही दक्षिणपंथी संगठन देशभक्त बताते थे।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि लोग ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में वोट देने के लिए आएं, तब भी दीपिका पादुकोण ने इस अभियान का समर्थन किया था। 2019 में ही महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये एक अभियान लांच हुआ था, इसका नाम था - भारत की लक्ष्मी। इसमें दीपिका पादुकोण मशहूर बैडमिंटन चैंपियन पी.वी. सिंधू के साथ थीं, तब तक वह देशभक्त थीं। लेकिन आख़िर ऐसा क्या हो गया कि जैसे ही वह जेएनयू पहुंचीं तो वह देशद्रोही हो गईं।
पिछले कई सालों से यह हो रहा है कि हर वह शख़्स जो मोदी सरकार की नीतियों से इत्तेफ़ाक नहीं रखता, उसे देशद्रोही साबित कर दिया जाता है। हर वह शख़्स जो कश्मीर में स्थितियां सामान्य करने की बात करे उसे पाकिस्तानी घोषित कर दिया जाता है।
दीपिका ने जेएनयू के छात्रों के समर्थन में जाकर ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उनके ख़िलाफ़ नफ़रत का बवंडर खड़ा कर दिया गया। उन्हें वेश्या से लेकर तमाम भद्दी गालियां दी जा रही हैं और आख़िर जेएनयू के छात्र कौन सी ऐसी माँग कर रहे हैं जिससे उनके समर्थन में जाने वालों को देशद्रोही बता दिया जाए। वे बस यही तो चाहते हैं कि उन्हें पीटने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो। लेकिन यह ट्रेंड बन गया है कि जो भी जेएनयू के छात्रों के समर्थन में बोलेगा उसे टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थक, देशद्रोही, पाकिस्तानी बता दिया जाएगा। उससे कहा जाएगा कि वह खाते यहां का हैं और गाते पाकिस्तान का हैं।
ऐसे में दक्षिणपंथी ट्रोल आर्मी हर उस बात का बवंडर बना देती है जो उसके मन मुताबिक़ नहीं होती। यह लोकतंत्र में असहमति को कुचले जाने के अधिकार की नहीं लोकतंत्र को ही कुचले जाने की कोशिश है और इस तरह का तमाशा सोशल मीडिया में आए दिन जानबूझकर और सोच-समझकर खड़ा किया जाता है।