सीवर की सफाई में 92% एससी-ST-OBC, पर मोदी सरकार का कुछ और कहना है

10:34 am Dec 18, 2024 | सत्य ब्यूरो

मोदी सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने मंगलवार (17 दिसंबर) को संसद को बताया कि सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई "व्यवसाय-आधारित" है। यह जाति-आधारित कार्य नहीं है। उसने यह बात देश के तमाम शहरों और कस्बों में सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारियों (एसएसडब्ल्यू) के अपने पहले सर्वेक्षण के आंकड़ों के जरिये कही है। अगर आप लोगों को याद हो कि मोदी ने इलाहाबाद (प्रयागराज) में कुछ सफाईकर्मियों के पैर धोये थे। लेकिन वो सभी एससी समुदाय से थे। 

देश में सीवर सफाई के दौरान 2014 से अब तक 453 मौतें हुई हैं। यह सरकारी आंकड़ा है। देश में 2014 से भाजपा-आरएसएस की सरकार है, जिसे नरेंद्र मोदी चला रहे हैं।


लोकसभा को सरकार ने बताया कि दो-तिहाई सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारी (एसएसडब्ल्यू) अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों से आते हैं।लोकसभा में अपने लिखित उत्तर में सरकार ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समूहों से संबंधित श्रमिकों की संख्या सामूहिक रूप से 92% है।

सरकार के इस आंकड़े से इस बात की पुष्टि हुई कि भारत में जाति व्यवस्था के आधार पर जिनके लिए जो भी प्रोफेशन या पेशा बनाया गया, उन जातियों या समुदायों के लोग आज भी उसी पेशे में हैं। मंत्रालय ने कहा कि देश में कुल 57,758 सफाई कर्मचारियों का प्रोफाइल देखा गया, जिनमें से 54,574 को 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) से लिया गया था।

केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने सदन को बताया कि इनमें से अधिकतम 37,060 (या 67.91%) दलित वर्ग से हैं, इसके बाद 8,587 (15.73%) ओबीसी और 4,536 (8.31%) एसटी वर्ग से हैं, उन्होंने कहा कि सिर्फ 4,391 या 8.05% सफाई कर्मचारी सामान्य श्रेणी से हैं। इसके बाद मंत्री ने फरमाया कि मंत्री ने कहा, "सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई का काम जाति आधारित नहीं बल्कि व्यवसाय आधारित गतिविधि है।"

मंत्रालय ने बताया कि ओडिशा और तमिलनाडु के एसएसडब्ल्यू डेटा को केंद्रीय डेटाबेस में एकीकृत करने की कोशिश चल रही है, जिसका उद्देश्य सफाई कर्मचारियों की "सुरक्षा, गरिमा और सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण" तय करना है।

उन्होंने बताया कि ऐसे सफाई कर्मचारियों को नमस्ते योजना के तहत “आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयों (ईआरएसयू) के लिए कुल 16,791 पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट और 43 सुरक्षा उपकरण किट की आपूर्ति की गई है। 13,604 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं।

सरकार ने दावा किया कि "स्वच्छता से संबंधित परियोजनाओं के लिए 503 सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों को ₹13.96 करोड़ की पूंजी सब्सिडी जारी की गई।" मंत्रालय ने कहा कि इसके अतिरिक्त, "मैनुअल स्कैवेंजर" श्रेणी के "226 लाभार्थियों" को वैकल्पिक स्व-रोज़गार परियोजनाओं को अपनाने में मदद करने के लिए ₹2.85 करोड़ प्रदान किए गए हैं।

केंद्र ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की शुरुआत के बाद से, नगर पालिकाओं, नगर पालिकाओं और ऐसे अन्य संगठनों में श्रमिकों के लिए सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई की रोकथाम पर कुल 837 वर्कशॉप आयोजित की गई हैं।

केंद्र सरकार की रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने में धीमी प्रगति पर चिंता जताई थी। केंद्र सरकार सीवर साफ करने वाले कर्मचारियों को मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में वर्गीकृत नहीं करता है। मोदी सरकार ने सीवर सेप्टिक सफाई कर्मचारियों के बारे में ये जानकारी तभी दी, जब कांग्रेस सांसद कुलदीप इंदौरा ने इससे जुड़े सवाल किये। सांसद इंदौरा ने एसएसडब्ल्यू के विवरण के साथ-साथ नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते) योजना की वर्तमान स्थिति जानने की मांग की थी। मोदी सरकार ने 2023-24 में यह योजना शुरू की थी। लेकिन इसकी चर्चा उसने कम की है।