कोरोना वैक्सीन के आपात उपयोग के लाइसेंस के लिए सीरम इंस्टीट्यूट दो हफ़्ते के अंदर नियामक संस्था को आवेदन करेगा। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक के बाद यह कहा। यह वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी मिलकर तैयार कर रही है और इसी वैक्सीन के उत्पादन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ने क़रार किया है।
अदार पूनावाल पहले भी उम्मीद जता चुके हैं कि दिसंबर तक इस वैक्सीन को आपात मंजूरी मिलने की उम्मीद है और फ़रवरी से देश भर में स्वास्थ्य कर्मियों को इसका टीका लगाए जाने की संभावना है। पहले वह यह भी कह चुके हैं कि अप्रैल से आम लोगों को इस वैक्सीन के मिलने की उम्मीद है।
अदार पूनावाला ने कहा है कि सरकार को वैक्सीन की एक डोज 3-4 डॉलर की पड़ेगी। यानी क़रीब 300-400 रुपये की। लेकिन आम लोगों के लिए यह 4-5 डॉलर का ख़र्च आएगा। यानी क़रीब 400-500 रुपये। वैक्सीन की दो डोज के लिए इसके दोगुने रुपये लगेंगे।
क्या सीरम इंस्टीट्यूट के साथ सरकार का कोई क़रार हुआ है, इस सवाल की जानकारी भी उन्होंने दी। प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद पूनावाला ने संवाददाताओं से कहा, ' अभी तक हमारे पास भारत सरकार से लिखित में कुछ भी नहीं है कि वे कितनी खुराक खरीदेंगे। लेकिन संकेत है कि यह जुलाई 2021 तक 300-400 मिलियन खुराक होगी।' उन्होंने कहा कि 'हम आपातकालीन उपयोग के लिए अगले दो हफ्तों में आवेदन करने की प्रक्रिया में हैं।'
भारत में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी सहित तीन कंपनियों की वैक्सीन जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है। ऑक्सफ़ोर्ड के अलावा भारत बायोटेक और ज़ायडस कैडिला भी वैक्सीन बना रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की तीनों वैक्सीन की जानकारी लेने के लिए 3 अलग-अलग शहरों का दौरा किया। प्रधानमंत्री ने भी इस दौरे को लेकर ट्वीट किया।
प्रधानमंत्री ने सबसे पहले गुजरात में ज़ायडस कैडिला प्लांट का दौरा किया। इसका ट्रायल अभी दूसरे चरण में है। फिर वह हैदराबाद में भारत बायोटेक की वैक्सीन की जानकारी लेने गए। इस वैक्सीन का ट्रायल तीसरे यानी आख़िरी चरण में है। और आख़िर में वह ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के साथ क़रार करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट पुणे गए। यह वैक्सीन भी तीसरे चरण में है।
माना जा रहा है कि भारत में फ़रवरी तक दो टीके उपलब्ध हो सकते हैं। एक तो ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के आने की पूरी उम्मीद है। और दूसरा, देश में विकसित कोवैक्सीन को भी आपात मंजूरी मिलने की आस है। ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन औसत रूप से 70 प्रतिशत प्रभावी रही है। कुछ ट्रायलों में यह 90 फ़ीसदी प्रभावी रही थी।
भारत में ही तैयार कोरोना वैक्सीन- कोवैक्सीन भी फ़रवरी महीने में उपलब्ध हो सकती है।
इसके पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की रिपोर्ट प्रकाशित होने वाली है और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। कहा जा रहा है कि पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद इसको भी आपात स्थिति में मंजूरी के लिए आवेदन किया जा सकता है। 'टीओआई' की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, एक अधिकारी ने कहा है कि सबकुछ ठीक रहा तो फ़रवरी में कोवैक्सीन भी उपलब्ध हो सकती है। यानी फ़रवरी तक भारत में दो टीके उपलब्ध होने की उम्मीद है।