सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच लोक लेखा समिति यानी पीएसी द्वारा गुरुवार को बुलाई गई बैठक में नहीं आ पाईं। उन्होंने 'आवश्यक कारणों' का हवाला देते हुए भाग नहीं लिया। पीएसी ने नियामक संस्था के कामकाज की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। यह दूसरी बार है जब पीएसी ने उन्हें बुलाया है। भाजपा पैनल के अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल से नाराज थी, उन्होंने उन पर एकतरफा फैसले लेने और सरकार को बदनाम करने के लिए अस्तित्वहीन मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया।
लोक लेखा समिति के प्रमुख और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एएनआई से कहा, 'समिति की पहली बैठक में ही हमने अपने विनियामक निकायों की समीक्षा के लिए एक स्वत: संज्ञान विषय रखने का निर्णय लिया। इसीलिए हमने आज सुबह सेबी को सेबी की समीक्षा के लिए बुलाया। समिति शाखा संबंधित लोगों को नोटिस भेजती है। सबसे पहले सेबी अध्यक्ष ने समिति के समक्ष उपस्थित होने से छूट मांगी, जिसे हमने अस्वीकार कर दिया। उसके बाद उन्होंने पुष्टि की कि वह और उनकी टीम इस समिति में उपस्थित रहेंगी...। आज सुबह उन्होंने मुझे सूचित किया कि वह दिल्ली की यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं। एक महिला के अनुरोध पर विचार करते हुए हमने सोचा कि आज की बैठक को किसी अन्य दिन के लिए स्थगित करना बेहतर है।'
सेबी के कामकाज की समीक्षा की जानी थी, लेकिन इसके साथ ही माना जा रहा था कि उनको वित्तीय गड़बड़ियों और हितों के टकराव के आरोपों से जुड़े सवालों का जवाब भी देना होगा। पहले बुच ने पीएसी के सामने पेश होने से छूट मांगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस मामले में बीजेपी विरोध कर रही है और एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार की जाँच में उनको आरोप मुक्त क़रार दिया गया है। बता दें कि माबधी पुरी बुच अगस्त महीने में तब विवादों में आ गईं जब अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म ने दावा किया कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। इसने आरोप लगाया है कि इसीलिए उन्होंने अडानी को लेकर पहले किए गए खुलासे के मामले में कार्रवाई नहीं की। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक सेबी से जुड़े हितों के टकराव का सवाल उठाया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च के ताज़ा आरोपों को सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने खारिज कर दिया है। तुरंत बयान जारी कर बुच ने कहा कि फंड में उनका निवेश, जिसके बारे में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि यह कथित 'अडानी स्टॉक हेरफेर' से जुड़ा है, माधबी के सेबी में शामिल होने से दो साल पहले किया गया था। उनकी सफ़ाई के बाद भी वह लगातार विवादों में रहीं और कांग्रेस ने एक के बाद एक कई आरोप लगाए हैं।
इन आरोपों के बीच ही सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच से कांग्रेस सांसद के नेतृत्व वाली संसदीय समिति ने सवाल पूछने की तैयारी की तो उसका विरोध ही होने लगा। सरकार के खर्चों पर संसदीय निगरानी रखने वाली लोक लेखा समिति ने माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों को 24 अक्टूबर को उसके सामने पेश होने के लिए कहा। लेकिन बीजेपी सांसदों ने अब इसका विरोध कर दिया।
माधबी पुरी बुच व अधिकारियों को 24 अक्टूबर को बुलाए जाने के बाद पैनल में शामिल भाजपा सदस्य लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे थे। भाजपा सांसदों ने दावा किया था कि यह जाँच नियमों का उल्लंघन है।
बुच ने पीएसी से छूट मांगी थी, लेकिन उन्हें इससे इनकार कर दिया गया। उनसे कहा गया है कि उन्हें समिति के समक्ष उपस्थित होना चाहिए। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी ने अपने सदस्यों को बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप जारी किया था और विपक्षी सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की संभावना थी। हालाँकि बुच बैठक में पहुँची ही नहीं।
बुच सरकारी जांच में आरोप मुक्त: रिपोर्ट
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सरकार द्वारा की गई जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया है। जांच में बुच को मौजूदा आरोपों से मुक्त कर दिया गया और निष्कर्ष निकाला गया कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगी, जो फरवरी 2025 में समाप्त हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मुद्दा तब सुलझा जब सेबी के शीर्ष प्रबंधन को कर्मचारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होने के लिए कहा गया। जाँच में पाया गया कि असंतोष सेबी के भीतर बुच के व्यापक सुधारों से आ सकता है, क्योंकि सिस्टम को साफ़ करने के उनके प्रयासों का विरोध किया गया था। सभी फ़ैक्टरों पर विचार करते हुए सरकार ने फ़ैसला किया कि बुच अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेंगी, जो 28 फरवरी 2025 को समाप्त होगा।