सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया। अब तक मुंबई पुलिस इन मामलों की जाँच कर रही थी। इन मामलों में परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ कुल पाँच एफ़आईआर दर्ज हैं। अब इन सभी मामलों की जाँच सीबीआई करेगी।
मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के बाहर विस्फोटकों से लदी एसयूवी मिलने के बाद परमबीर सिंह को क़रीब दो साल पहले मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया गया था। अपने निष्कासन के बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर जबरन वसूली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
इस मामले में देशमुख को भी इस्तीफा देना पड़ा था। इस बीच परमबीर सिंह पर कई अनियमितताओं के आरोप लगे। सरकार ने उनके ख़िलाफ़ कथित अनियमितताओं को लेकर अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की थी।
परमबीर सिंह ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर अपने ख़िलाफ़ सभी जाँच महाराष्ट्र पुलिस से केंद्रीय जाँच एजेंसी यानी सीबीआई को सौंपने की मांग की थी।
अदालत ने कहा, 'हमारा प्रथम दृष्टया विचार है कि कुछ ठोस प्रयास हैं जिनकी सीबीआई द्वारा जाँच की आवश्यकता है। सच्चाई क्या है, किसकी ग़लती है, इस तरह का परिदृश्य कैसे सामने आता है, इसकी जाँच होनी चाहिए। सीबीआई को निष्पक्ष होकर इन सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए।'
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इस मामले की जाँच किसे करनी चाहिए, इस पर सत्ता के सोपानों के बीच एक बहुत ही संदिग्ध मामला चल रहा है।
अदालत ने कहा कि उसके सामने पेश किए गए हालात परेशान करने वाले हैं और इसकी जांच की जानी चाहिए।
इससे पहले अदालत के सामने परमबीर सिंह ने अपील की, 'कृपया मुझे राज्य की दया पर मत छोड़िए'। उन्होंने कहा कि उनके पास कभी भी ऐसा कोई मामला नहीं आया है जहाँ गृह मंत्री और सत्ता में पार्टी के प्रमुख मीडिया को बयान देते हैं कि 'मैं इस अधिकारी को ठीक कर दूंगा'।
अदालत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि जाँच इस अदालत के अवलोकन में प्रभावित हो। इसने यह भी कहा कि हम अपील की अनुमति देते हैं और निर्देशित करते हैं कि सभी रिकॉर्ड के साथ पाँचों एफ़आईआर सीबीआई को ट्रांसफर की जाएं।