कोरोना से लड़ाई में सफ़ाई ज़रूरी, स्वच्छता वाले सैनिटरी पैड, डाइपर की ही कमी

01:56 pm Apr 02, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कोरोना वायरस से बचाव के लिए साफ़-सफाई ही सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, लेकिन स्वच्छता से जुड़े सैनिटरी पैड, डायपर, टिश्यू पेपर की ही भारी किल्लत होने लगी है। कई दुकानों में इसके स्टॉक ख़त्म हो गए हैं। सैनिटरी पैड महिलाओं की स्वच्छता के लिए काफ़ी अहम हैं तो डाइपर्स बच्चों के लिए। 

यह दिक्कत इसलिए आई है क्योंकि लॉकडाउन के बाद इसका उत्पादन और ढुलाई दोनों को बंद कर दिया गया था। पिछले हफ़्ते जब केंद्र सरकार ने लॉकडाउन से छूट देने के लिए ज़रूरी उत्पादों और सेवाओं की सूची जारी की थी तब सैनिटरी पैड, डायपर, टिश्यू पेपर इसमें शामिल नहीं थे। इसका नतीजा यह हुआ कि न तो इसका उत्पादन हो पाया और न ही फ़ैक्ट्रियों में पहले से तैयार इन उत्पादों की ढुलाई हो पाई। अब खुदरा दुकानदारों के पास इसके स्टॉक ख़त्म हो रहे हैं। थोक विक्रेताओं के साथ भी यही स्थिति है। 

जब इसकी दिक्कत आने लगी तो केंद्र सरकार ने 29 मार्च को अपने आदेश में संशोधन कर इन उत्पादों को ज़रूरी उत्पादों की सूची में डाल दिया। इस सूची में हैंड वाश, साबुन, डिसइन्फ़ेक्टेंट, बॉडी वाश, शैम्पू, सैनिटरी पैड, डायपर आदि शामिल थे। हालाँकि इसके बावजूद इनकी आपूर्ति सही से नहीं हो पा रही है। दिल्ली-एनसीआर के कई दुकानों में तो इनका स्टॉक पूरी तरह ख़त्म हो चुका है। 

दरअसल, दिक्कत इतनी भर नहीं है कि इसे ज़रूरी या ग़ैर ज़रूरी उत्पादों-सेवाओं की सूची में डाला नहीं गया था, बल्कि यह समस्या लॉकडाउन के कारण हर चीज में आ रही है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि आटा, चावल, दाल, तेल, साबुन, बिस्किट जैसे हर रोज़ की ज़रूरत के सामान की भी भारी किल्लत हो सकती है। लॉकडाउन के कारण अब स्टोर के स्टॉक में पहले से पड़े सामान ख़त्म हो रहे हैं और ऊपर से सप्लाई सही से हो नहीं रही है। ये समस्याएँ किसी एक स्तर पर नहीं है, बल्कि फ़ैक्ट्रियों में कच्चा माल जाने से लेकर, ढुलाई, निर्माण, मज़दूरों की कमी और आपूर्ति करने तक में हैं। 

यह दिक्कत इसलिए है कि लॉकडाउन के बाद मज़दूर फ़ैक्ट्रियों में नहीं जा रहे हैं। अधिकतर फ़ैक्ट्रियों में काम बंद होने से जब मज़दूर अपने घर जाने लगे तो जिन फ़ैक्ट्रियों में काम चल भी रहा था उसके मज़दूर भी साथ-साथ अपने घर के लिए निकल गए। इससे सिर्फ़ फ़ैक्ट्रियों में उत्पादन ही प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि सामान को एक से दूसरी जगह पहुँचाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। ट्रक पर सामान लोड करने और उतारने से लेकर वितरकों और खुदरा दुकानदारों तक सामान पहुँचाने में बड़ी समस्या है। 

लॉकडाउन से पहले जिन हज़ारों ट्रकों पर सामान पहले से लदा हुआ था वे भी एक से दूसरी जगह नहीं जा पा रहे हैं। अधिकतर राज्यों की सीमाओं को सील कर दिया गया है और इस कारण हज़ारों ट्रक जहाँ के तहाँ फँसे हुए हैं। इसका नतीजा यह निकल रहा है कि सामान आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। कच्चा माल भी फ़ैक्ट्रियों में नहीं पहुँच पा रहा है क्योंकि अधिकतर ट्रक फँसे हुए हैं। 

लॉकडाउन के अभी भी क़रीब एक पखवाड़ा बाक़ी है, यानी स्थिति नहीं सुधारी गई तो ज़रूरी सामान की भारी किल्लत हो सकती है। ऐसे में यदि लॉकडाउन को बढ़ाने की ज़रूरत आन पड़ी तो स्थिति और भी ज़्यादा गंभीर हो सकती है।