विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने बिलावल भुट्टो को 'आतंकवाद उद्योग के प्रवर्तक, सही ठहराने वाला और प्रवक्ता' क़रार दिया है।
गोवा में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, 'आतंकवाद के पीड़ित आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए इसके अपराधियों के साथ एक साथ नहीं बैठते हैं।'
जयशंकर की यह टिप्पणी भुट्टो की टिप्पणी के बाद आई है जिसमें उन्होंने आज दिन में कहा था, 'हमारे लोगों की सामूहिक सुरक्षा हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए ख़तरा बना हुआ है।'
भुट्टो ने पहले अपने भाषण में सदस्य देशों से 'आतंकवाद के खतरे' को सामूहिक रूप से मिटाने का आग्रह किया था और कहा था, 'राजनयिक लाभ के लिए आतंकवाद को हथियार बनाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।' पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शुक्रवार को बैठक के लिए पहुँचे, जहां उनका स्वागत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया था।
बहरहाल, अब एस जयशंकर ने कहा, 'भुट्टो एससीओ सदस्य देश के विदेश मंत्री के रूप में आए, यह बहुपक्षीय कूटनीति का हिस्सा है और हम इससे ज्यादा कुछ नहीं देखते हैं।' एससीओ की बैठक में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई।
जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेज़ी से गिर रही है।
जम्मू-कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठक पर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने यह भी कहा कि चूँकि जी-20 बैठक भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हो रही है, इसलिए जम्मू और कश्मीर में जी-20 बैठक होना 'पूरी तरह से स्वाभाविक है।
एस जयशंकर ने आज दिन में ही एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में पड़ोसी देश पाकिस्तान को संकेतों में साफ़ संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि सीमा पार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद को रोका ही जाना चाहिए।
यह बताते हुए कि आतंकवाद का मुकाबला एससीओ के मूल उद्देश्यों में से एक है, जयशंकर ने कहा था कि आतंकवादी गतिविधियों को वित्त मुहैया कराने के चैनल को बिना किसी भेदभाव के रोका जाना चाहिए। जय शंकर ने कहा था, 'जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके परिणामों का सामना करने में लगी हुई थी, आतंकवाद का ख़तरा बेरोकटोक जारी था। हमारा पक्के तौर पर मानना है कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और सीमा पार आतंकवाद सहित इसके सभी रूपों को रोका जाना चाहिए।'
जयशंकर की टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब जम्मू-कश्मीर के पुंछ के पास एक जंगल में छिपे आतंकवादियों को खोजने के लिए एक अभियान के दौरान कार्रवाई में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो गए। आतंकियों के पाकिस्तानी होने का संदेह है। आतंकवादियों ने पिछले सप्ताह सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें पांच अन्य सैनिक मारे गए थे।
पिछले छह वर्षों में पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। पिछली ऐसी यात्रा दिसंबर 2016 में हुई थी, जब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अजीज ने हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमृतसर की यात्रा की थी। लेकिन उनकी तत्कालीन भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज अस्वस्थ थीं, इसलिए कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी। उनसे पहले 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भारत आए थे। इससे पहले विदेश मंत्री के स्तर पर पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल 2011 में भारत आया था, उस समय पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी थीं।