राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने आरोग्य सेतु ऐप का यह कह कर विरोध किया है कि इससे विदेशी कंपनियों को मदद मिलती है और यह ग़ैरक़ानूनी है।
इसी आरएसएस से जुड़ी बीजेपी की सरकार आरोग्य ऐप को लेकर आई है और बढ़ावा दे रही है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोयडा में अनिवार्य घोषित कर दिया है और कहा है कि स्मार्ट फ़ोन में यह ऐप न होना क़ानूनी अपराध है।
क्यों हो रहा है विरोध
इसी आरोग्य ऐप के ख़िलाफ़ स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की शिकायत की है। मंच ने प्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल से कहा है कि अमिताभ कांत इस ऐप के ज़रिए विदेशी ई-मेडिसिन कंपनियों की ग़ैरक़ानूनी तरीके से मदद कर रहे हैं।इस आरोग्य ऐप की खूबी यह है कि यह कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों पर निगरानी रखती है। लेकिन इसके साथ ही यह रोगियों को ऑनलाइन स्वास्थ्य सलाह देती है, जाँच के बारे में बताती है और ई-फ़ार्मेसी कंपनियों से जोड़ती है।
स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि ऐप से जुड़ी कुछ ई-फ़ार्मेसी कंपनियाँ विदेशी हैं और इस तरह यह ऐप इन विदेशी कंपनियों की मदद कर रहा है।
निशाने पर नीति आयोग
स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने 'द प्रिंट' से कहा, 'अमिताभ कांत ग़ैरक़ानूनी तरीके से विदेशी ई-फ़ार्मेसी की मदद कैसे कर सकते हैं करोड़ों भारतीयों ने इस ऐप को डाउनलोड कर लिया है और उन तक इन विदेशी कंपनियों की पहुँच हो गई है।'आरएसएस से जुड़ी एक और संस्था लघु उद्योग भारती भी आरोग्य सेतु ऐप और नीति आयोग प्रमुख अमिताभ कांत के विरोध में है।
लघु उद्योग भारती का कहना है कि भारतीय कंपनियों और लघु, छोटे और सूक्ष्म उद्यमों की मदद की जानी चाहिए, इसके उलट विदेशी कंपनियों की मदद इस ऐप के ज़रिए की जा रही है।
क्या कहना है सरकार का
उत्तर प्रदेश के पहले केंद्र सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु एप को ज़रूरी कर दिया था। सरकार का यह निर्देश सभी विभागों, मंत्रालयों, कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। आदेश में कहा गया है कि ये मंत्रालय और विभाग सभी स्वायत्त व वैधानिक संस्थाओं और पीएसयू को भी ये निर्देश भेज सकते हैं।इस एप को 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया था। यह एप ब्लू टूथ और लोकेशन डाटा के आधार पर एप का प्रयोग करने वाले की स्थिति पर निगरानी रखता है और यह भी कि वह किन-किन व्यक्तियों के संपर्क में आया है।
कांग्रेस-स्वदेशी जागरण मंच एक साथ
स्वेदशी जागरण मंच के पहले कांग्रेस पार्टी ने आरोग्य सेतु का विरोध किया था, लेकिन उसका कारण दूसरा था। कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने इस ऐप को काफ़ी उन्नत निगरानी प्रणाली क़रार दिया है और सीधे तौर पर इस ऐप से लोगों की जानकारियों के चोरी होने की आशंका जताई है।राहुल ने इसको लेकर ट्वीट किया, 'यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी ऑपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है। इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा की आशंका है। प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है; लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए।'