2000 रुपये का नोट चलन से बाहर होगा, जानें कब तक बदल सकेंगे 

08:08 pm May 19, 2023 | सत्य ब्यूरो
2000 रुपये का नोट चलन से बाहर होगा, जानें कब तक बदल सकेंगे 

भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने 2,000 रुपये के बैंक नोट सर्कुलेशन से वापस लेने का फ़ैसला किया है। आरबीआई ने सभी को 30 सितंबर, 2023 तक उन्हें बदलने के लिए कहा है। हालाँकि, 2,000 रुपए के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे। यानी ये नोट अमान्य नहीं होंगे जैसा कि पिछली बार नोटबंदी में किया गया था। 

आरबीआई की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 23 मई, 2023 से किसी भी बैंक में एक समय में 2000 रुपये के नोटों को अन्य मूल्यवर्ग के नोटों में बदलने की सीमा 20,000 रुपये तक की जा सकती है। इसने कहा है, 'सभी बैंक 30 सितंबर, 2023 तक 2000 रुपये के नोटों के लिए जमा और/ या विनिमय सुविधा देंगे'।

इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों को तत्काल प्रभाव से 2000 रुपये के बैंक नोट जारी करना बंद करने की सलाह दी है। नवंबर 2016 में 2000 रुपये के इस बैंकनोट को पेश किया गया था। तब इसके साथ ही 500 रुपये के नोट भी नये आकार में आए थे। 

2016 में पीएम ने की थी नोटबंदी की घोषणा 

2000 रुपये और 500 रुपये के ये दोनों नये नोट उस समय प्रचलन में आए थे जब अचानक से सभी 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में आठ नवंबर को रात को घोषणा की थी और कहा था कि कुछ घंटे बाद रात 12 बजे से ही 500 और 2000 रुपये के ये दोनों नोट अवैध हो जाएँगे। हालाँकि, कुछ दिनों के लिए पुराने नोटों को बदलने का वक़्त दिया गया था, लेकिन कई लोग शिकायत करते हैं कि वह वक़्त नाकाफ़ी था।

2016 में जब नोटबंदी हुई थी तो देश भर में हाहाकार मच गया था। देश भर के बैंकों और एटीएम पर लोगों की लाइनें लगी रहती थीं। नोटों की कमी होने से लोग रात-रात भर भी लाइनें में लगे रहते थे। तब कई लोगों के व्यापार ठप हो गए थे। शादियाँ टूटने की ख़बरें आई थीं। इलाज के बिना मरीजों के मरने की ख़बरें आई थीं। और कई जगह तो रिपोर्टें आई थीं कि पैसे निकालने के लिए बैंकों की लाइन में लगे लोगों ने दम तोड़ दिया।

अब आरबीआई ने कहा है कि 2000 रुपये के नये नोटों का जो मक़सद था वह पूरा हो गया है। कहा गया है कि यह मक़सद था अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने का।

अब आरबीआई ने कहा है कि 2000 रुपये के नये नोटों का जो मक़सद था वह पूरा हो गया है। कहा गया है कि यह मक़सद था अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने का।  

आरबीआई ने कहा है कि अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बाद ही 2018-19 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी। मार्च 2017 से पहले 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में से लगभग 89 प्रतिशत जारी किए गए थे।

प्रचलन में इन बैंक नोटों का कुल मूल्य 31 मार्च, 2018 तक अपने चरम पर 6.73 लाख करोड़ रुपये से गिर गया है। 31 मार्च 2023 को प्रचलन में नोटों का केवल 10.8 प्रतिशत यानी 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गया है। 

आरबीआई ने शुक्रवार को कहा,

यह भी देखा गया है कि 2000 रुपये मूल्यवर्ग का इस्तेमाल आमतौर पर लेनदेन के लिए नहीं किया जाता है। इसके अलावा, अन्य मूल्यवर्ग में बैंक नोटों का स्टॉक जनता की मुद्रा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।'


आरबीआई

वैसे, जब 1000 रुपये के नोट को बंद कर 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे तभी लोगों ने इसको लेकर सवाल उठाए थे। सरकार की आलोचना की जा रही थी कि यदि नोटबंदी का उद्देश्य कैशलेस इकॉनमी बनाना है तो फिर 2000 रुपये का नोट क्यों? सोशल मीडिया पर अब आरबीआई के ताज़ा फ़ैसले के बाद भी वही सवाल पूछे जा रहे हैं कि 2000 रुपये के नोट जारी करना क्या ग़लत क़दम नहीं था?