कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर और उनकी बेटी सुरन्या अय्यर को जंगपुरा में घर खाली करने का नोटिस आरडब्ल्यूए से मिला है। आरडब्ल्यूए ने उन पर आरोप लगाया कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के कार्यक्रम को लेकर सुरन्या अय्यर की सोशल मीडिया पोस्ट से यहां के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची है।आरडब्ल्यूए द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए जो शांति भंग कर सकते हैं या अन्य निवासियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। नोटिस में कहा गया है, "हम यहां रहने वालों के ऐसे अपशब्दों की तारीफ नहीं कर सकते हैं जो कॉलोनी में शांति भंग कर सकते हैं या बाकी निवासियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हों।"
आरडब्ल्यूए के नोटिस में कहा गया है, "आपने अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा के विरोध में जो किया है, तो हम आपको सुझाव देंगे कि कृपया किसी अन्य कॉलोनी में चले जाएं जहां लोग इस तरह की नफरत के प्रति आंखें मूंद सकें।" सुरन्या अय्यर ने 20 जनवरी को एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि वह राम मंदिर के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के विरोध में उपवास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह उपवास मुस्लिम नागरिकों के प्रति प्यार और दुख की अभिव्यक्ति है।
अपनी प्रतिक्रिया में, आरडब्ल्यूए ने कहा, "सुरन्या अय्यर ने सोशल मीडिया के माध्यम से जो कहा वह एक शिक्षित व्यक्ति के लिए अशोभनीय था। उसे यह समझना चाहिए था कि राम मंदिर 500 साल बाद बनाया जा रहा है और वह भी सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की आमराय के फैसले के बाद।" इसमें कहा गया है, "आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ ले सकते हैं, लेकिन कृपया याद रखें कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं हो सकती।"
जंगपुरा की आरडब्ल्यूए ने एसोसिएशन ने पिता और बेटी से लोगों को भड़काने और नागरिकों के बीच नफरत और अविश्वास पैदा न करने का आग्रह किया। उसने नोटिस में लिखा है- "आप अपने देश की भलाई के लिए राजनीति में कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन कृपया याद रखें कि आप जो भी कहते हैं और आपके कार्यों से कॉलोनी का अच्छा या बुरा नाम होता है। इसलिए, आपसे अनुरोध है कि कृपया ऐसे पोस्ट/टिप्पणियां करने से बचें।"
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को हुआ था। मंदिर 70 एकड़ के परिसर के अंदर 2.67 एकड़ की जगह पर बनाया गया है और इसका केवल पहला चरण ही तैयार है। दूसरा और अंतिम चरण दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹ 1,500 करोड़ है। सरकार ने मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट बनाया था। उसी ट्रस्ट की देखरेख में मंदिर बन रहा है। पीएम मोदी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे।