जब से मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस लिए हैं, तब से यह कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन ख़त्म हो सकता है। लेकिन किसानों ने अपनी छह और मांगों को सामने रखा है और हुंकार भरी है कि इनके पूरा हुए बिना वे आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे। इस बीच, केंद्र सरकार ने पंजाब के कुछ किसान नेताओं से एमएसपी के लिए कमेटी बनाने के लिए पांच सदस्यों के नाम मांगे हैं।
इसके बाद पंजाब के किसान नेता सतनाम सिंह अजनाला ने कहा है कि सरकार ने बाक़ी मांगें भी मान ली हैं और 4 दिसंबर को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन को ख़त्म करने को लेकर कोई फ़ैसला हो सकता है।
इस बीच, इस तरह की भी ख़बरें आई कि किसान आंदोलन को लेकर कुछ किसान नेताओं की सरकार से पीठ पीछे बातचीत चल रही है और कुछ किसान नेता घर जाना चाहते हैं।
लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले धाकड़ किसान नेता राकेश टिकैत की राय इससे पूरी तरह जुदा है। टिकैत का कहना है कि एमएसपी पर गारंटी क़ानून और किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लिए बिना आंदोलन ख़त्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बाक़ी मांगों पर भी सहमति बननी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि आंदोलन की आगे की रूपरेखा 4 दिसंबर को ही तय होगी।
टिकैत ने ‘आज तक’ के साथ बातचीत में कहा कि सरकार को किसी तरह का भ्रम नहीं पालना चाहिए। टिकैत का कहना है कि किसान आंदोलन में कोई फूट नहीं है और मांगें पूरी हुए बिना कोई भी आंदोलन छोड़कर जाने को तैयार नहीं है।
टिकैत ने कहा, “सब लोग सरकार के टारगेट पर हैं और अभी ज़्यादा ख़ुशी मनाने की ज़रूरत नहीं है, जो किसान जितनी जल्दी आंदोलन छोड़कर घर जाएगा, वह उतनी जल्दी जेल भी जाएगा।”
टिकैत की बात से साफ है कि वे किसानों की बाक़ी मांगों के पूरा होने से पहले आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे और उन्होंने मीडिया में उड़ रही इस तरह की ख़बरों का माकूल जवाब देने की कोशिश की है कि किसान आंदोलन जल्द ही ख़त्म हो सकता है।
किसानों की बाक़ी मांगों में बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देना भी शामिल है।