आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में दाख़िले में 10 प्रतिशत आरक्षण देने से जुड़ा 124वां संविधान संशोधन विधेयक संसद में पारित हो गया। राज्यसभा ने गुरुवार को दिन भर की लंबी बहस के बाद देर रात यह विधेयक पास कर दिया। बिल के पक्ष में 165 वोट पड़े जबकि 7 सदस्यों ने इसके ख़िलाफ़ वोट डाले।
इससे जुड़े कुछ संशोधनों को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया। इसी तरह कुछ सदस्यों की इस माँग को भी खारिज कर दिया गया कि विधेयक को संसद की सेलेक्ट कमिटी को भेज दिया जाए।
इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने यह विधेयक लोकभा में पेश किया, जिसे भारी बहुमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में यह प्रावधान है कि आर्थिक रूप से पिछड़े उन तमाम लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, जो अब तक आरक्षण से बाहर हैं। लेकिन इसका फ़ायदा उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनकी पारिवारिक सालाना आमनी 8 लाख रुपये के कम है।
यह भी पढ़ें: सवर्ण आरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में पास, राज्यसभा में परीक्षा आज
यह भ पढ़ें: क्या मोदी सरकार को मिलेगा चुनावी फ़ैसले का फ़ायदा
गहलोत ने बिल पेश करते हुए कहा कि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है, लिहाज़ा कुछ लोग इससे वंचित रह जाते हैं। इसलिए संविधान में संशोधन की ज़रूरत है। हालांकि बिल में सभी समुदायों के लोगो के लिए आरक्षण की बात कही गई है, पर इसका मक़सद ग़रीब सवर्णों को आरक्षण देना है।
मोदी ने ट्वीट कर कहा, '124वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कर हमने श्रद्धा सुमन संविधान बनाने वालों और उन स्वतंत्रता सेनानियों को अर्पित किया है, जिनकी दृष्टि में ऐसा भारत है, जो सबको लेकर चलता हो।'
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस विधेयक का समर्थन किया। पर इसके सदस्य आनंद शर्मा ने सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि वह बताए कि सत्ता में चार साल सात महीने रहने के बाद अचानक उसे इसका ख्याल क्यों आया। उन्होंने कहा कि सरकार वोट बटोरने के लिए ही यह बिल लेकर आई है। द्रमिक मुनेत्र कषगम की सदस्य कनीमोई ने संशोधन पेश करते हुए माँग की कि यह बिल राज्यसभा की सेलेक्ट कमिटि को भेज दिया जाए। पर उनका यह प्रस्ताव खारिज हो गया। बिल से जुड़े छह संशोधन रखे गए, पर सभी खारिज कर दिए गए।