अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के सरकारी नौकरियों में और प्रमोशन में आरक्षण को लेकर आये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही एनडीए में शामिल दलों ने भी कोर्ट के इस फ़ैसले का जोरदार विरोध किया है। लोकसभा में हंगामे के बाद सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिये स्थगित कर दिया गया।
संसद में हंगामे के बाद केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से कुछ लेना-देना नहीं है। गहलोत ने कहा, ‘केंद्र सरकार कभी भी इस मामले में पार्टी नहीं थी और न ही हमसे कभी कोई घोषणापत्र देने के लिये कहा गया। यह मामला उत्तराखंड की सरकार की ओर से 2012 में लिये गये फ़ैसले के कारण सामने आया है और उस समय वहां कांग्रेस की सरकार थी।’ गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम इस बारे में चर्चा करेंगे और आगे के क़दम के बारे में फ़ैसला लेंगे।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि कांग्रेस इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला है और केंद्र सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
अपना दल की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह अब तक का सबसे ख़राब फ़ैसला है। लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने लोकसभा में कहा कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का विरोध करती है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे।