रेल मंत्रालय ने स्पेशल राजधानी ट्रेनों पर यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को ज़रूरी कर दिया है। रेल मंत्रालय ने इसको लेकर एक ट्वीट कर जानकारी दी है। इससे पहले जब ट्रेन चलाने की घोषणा की गई थी तब इसको लेकर कुछ नहीं कहा गया था, लेकिन अब यह फ़ैसला लिया गया है। आज शाम चार बजे से स्पेशल राजधानी ट्रेनें चलने लगेंगी। दो दिन पहले ही घोषणा की गई थी कि ऐसी 15 ट्रेनें दिल्ली से चलाई जाएँगी।
रिपोर्टों में कहा गया है कि रेलवे ने अपने सभी ज़ोनल रेलवे को उसकी सूचना भेज दी है। रेल मंत्रालय ने आरोग्य सेतु ऐप को लेकर ट्वीट किया है। इसने ट्वीट में कहा है, 'भारतीय रेलवे कुछ यात्री ट्रेनों की सेवा शुरू करने जा रहा है। यात्रियों को अपनी यात्रा शुरू करने से पहले अपने मोबाइल फ़ोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना ज़रूरी है।'
रिपोर्टों में कहा गया है कि यात्रियों को गाड़ी खुलने से 90 मिनट पहले स्टेशन पर आना ज़रूरी होगा और सभी यात्रियों से आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करने को कहा जाएगा। बता दें कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने के लिए इस आरोग्य सेतु ऐप को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया है।
बता दें कि डाटा और निजता की सुरक्षा चिंताओं को लेकर सवालों के उठने के बीच ही केंद्र सरकार ने सभी सरकारी विभागों और सभी निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए इसे मोबाइल पर डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया है। दिल्ली से सटे नोएडा में तो प्रशासन ने मोबाइल में इस ऐप को इंस्टॉल नहीं करने पर तो दंडनीय अपराध बना दिया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अगर कोई बाहर दिखता है और उसके स्मार्टफ़ोन पर इस ऐप को नहीं पाया जाता है तो उसपर जुर्माना लगाया जा सकता है या जेल की सज़ा दी जा सकती है। ऐसा तब है जब इस ऐप को लॉन्च करते समय कहा गया था कि यह पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा।
इसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि किस क़ानून के तहत इस ऐप को डाउनलोड करना ज़रूरी किया जा रहा है। आरोग्य सेतु ऐप को ज़रूरी किए जाने की क़ानूनी वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी एन श्रीकृष्ण भी सवाल उठाते हैं। जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण उस सरकारी कमेटी के अध्यक्ष रहे थे जिसने व्यक्तिगत सुरक्षा संरक्षण अधिनियम का पहला मसौदा तैयार किया था। हालाँकि सरकार ने उनके सुझावों को नहीं माना था। वह कहते हैं कि आरोग्य सेतु ऐप को लोगों के लिए ज़रूरी करना पूरी तरह ग़ैर-क़ानूनी है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में उन्होंने कहा, 'किस क़ानून के तहत आप किसी पर इसे ज़बरदस्ती लाद रहे हैं? अभी तक तो इसके लिए कोई क़ानून नहीं है।'
लेकिन गृह मंत्रालय ने आरोग्य सेतु ऐप को लेकर कर्मचारियों के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे। ये दिशा निर्देश राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए), 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी किए गए थे।
इस पर जस्टिस श्रीकृष्ण ने कहा कि आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए दिशानिर्देशों को पर्याप्त क़ानूनी आधार नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा, 'ये क़ानून के टुकड़े- दोनों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम - एक विशिष्ट कारण के लिए हैं। मेरे विचार में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एक वैधानिक निकाय नहीं है।'