कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी हाथरस जाने वाले हैं। वो वहां भगदड़ से प्रभावित परिवारों से बातचीत करने की योजना बना रहे हैं। यह एक अफसोसनाक घटना है। मंगलवार को हाथरस के रतिभानपुर में एक सत्संग में भगदड़ मचने से 123 लोगों की मौत हो गई थी। घटना का गुरुवार को तीसरा दिन है लेकिन न तो वो कथित बाबा और न ही अन्य आरोपी इस मामले में पकड़े गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की न्यायिक जांच और साजिश तलाशने की घोषणा कर दी है। लेकिन मुख्यमंत्री ने हाथरस में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने से हुई मौतों और एम्बुलेंस के न होने पर कुछ नहीं कहा। न्यायिक जांच की घोषणा कर पूरे मामले को निपटा दिया गया है।
हाथरस में भगदड़ से मौतों की जब सूचना आई तो उस समय प्रधानमंत्री लोकसभा में भाषण दे रहे थे। करीब दो घंटे बाद उन्होंने हाथरस घटना की सूचना दी और संसद ने फौरन ही मौन रखकर शोक जताया। इस घटना ने यूपी सरकार की स्वास्थ्य अव्यवस्था की पोल फौरन ही खोल दी। मंगलवार रात को ही सोशल मीडिया पर वीडियो आने लगे, जिसमें लोग कह रहे थे कि अस्पताल में एक ही डॉक्टर है, स्टाफ नदारद है। एम्बुलेंस का पता नहीं। यानी तमाम मौतें वक्त पर इलाज न मिलने की वजह से हुईं।
जांच के नाम पर धूल झोंकी जा रही है
आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि "भगदड़ की जांच के लिए गठित पैनल सिर्फ दिखावा है। ऐसे हादसों के लिए कितनी समितियां गठित की गई हैं? हम सभी जानते हैं कि 2 दिनों के बाद इस मामले पर कोई चर्चा नहीं होगी। यह देश हादसों का देश बन गया है... क्या शहर के स्थानीय प्रशासन को भीड़ की जानकारी नहीं थी?" उन्होंने कहा, ''यह सब सिर्फ दिखावा है।'' मनोज झा के आरोप हाथरस की स्थानीय जनता द्वारा लगाए गए आरोपों से मेल खाते हैं। वहां के लोगों का कहना है कि अगर समय पर इलाज मिला होता तो काफी लोग बचाए जा सकते थे। लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने स्वास्थ्य चरमराने के मुद्दे पर मौन साध लिया।
साजिश या भारी भीड़ है घटना की वजहः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की न्यायिक जांच का ऐलान करते हुए कहा था कि इसमें साजिश का भी पता लगाया जाएगा। घटनास्थल पर मौजूद असंख्य लोग और यूपी पुलिस की महिला कॉन्स्टेबल के बयान को यूपी सरकार कोई तवज्जो नहीं दे रही है। कार्यक्रम स्थल पर ड्यूटी पर मौजूद उत्तर प्रदेश पुलिस की सिपाही शीला मौर्य ने घटना के लिए भीड़भाड़ को जिम्मेदार ठहराया।
यूपी पुलिस की कॉन्स्टेबल शीला मौर्य ने कहा- "मुझे मंच के सामने तैनात किया गया था। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद वहां भारी भीड़ थी। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मैंने कई महिलाओं की मदद की लेकिन बाद में मैं भी गिर गई और मुझे चोटें आईं। समस्या यह थी कि वहां भारी भीड़ थी। सभी लोग एक साथ कार्यक्रम स्थल से बाहर निकलने लगे।"
इस घटना को लेकर स्थानीय प्रशासन बार-बार यही बता रहा है कि भोले बाबा के सत्संग में उसके अनुयायी उसके पैरों के आसपास की धूल जमा करना चाहते थे, जिससे भगदड़ मच गई। कार्यक्रम के आयोजकों ने 80,000 लोगों के एकत्र होने की अनुमति ली थी। हालाँकि, 2.5 लाख से अधिक लोग आये। यह बात भी बुधवार को सामने आई। घटना होने के फौरन बाद प्रशासन ने यह नहीं कहा कि इस धार्मिक कार्यक्रम की अनुमति ली गई थी।
इस बीच, उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को मैनपुरी में राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में तलाशी अभियान चलाया। हालांकि, भोले बाबा अपने आश्रम परिसर में नहीं मिले। कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अभी तक भोले बाबा को आरोपी नहीं बनाया गया है।
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सरकार ने अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं दिया की इतनी मौतों के बावजूद एफआईआर में भोले बाबा का नाम क्यों नहीं है। अगर वो आरोपी नहीं है तो फिर पुलिस उसकी तलाश में मैनपुरी या अन्य जगहों पर उसे क्यों तलाश रही है। पुलिस बार-बार बयान दे रही है कि भोले बाबा की तलाश जारी है, लेकिन भोले बाबा का नाम एफआईआर में नहीं है। क्या किसी के इशारे पर उसे बचाया जा रहा है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जांच में पारदर्शिता के लिए जस्टिस (रिटायर्ड) ब्रृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है।