लोकसभा के प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सपा सांसद अखिलेश यादव समेत विपक्षी नेताओं ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर नीट-यूजी पेपर लीक मामले को लेकर निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया कि क्या वह इस मामले की जिम्मेदारी लेंगे और इस्तीफा देंगे। इस पर प्रधान ने कहा कि यह एक राष्ट्रव्यापी पेपर लीक नहीं है और सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है, सभी तथ्य सामने रखे गए हैं। इसके बाद विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई।
संसद में सोमवार को उस समय तीखी बहस हुई जब राहुल गांधी नीट 2024 में कथित लीक को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भिड़ गए। राहुल ने कहा, 'पूरे देश के लिए यह साफ़ है कि हमारी परीक्षा प्रणाली में बहुत गंभीर समस्या है, न केवल नीट में बल्कि सभी प्रमुख परीक्षाओं में। मंत्री ने खुद को छोड़कर सभी को दोषी ठहराया है। मुझे नहीं लगता कि उन्हें यहां जो कुछ हो रहा है, उसके मूल सिद्धांतों की भी समझ है।'
कांग्रेस नेता ने भारतीय परीक्षा प्रणाली की निष्ठा पर चिंता व्यक्त करते हुए दावा किया कि लाखों छात्र मानते हैं कि यह धोखाधड़ी है। उन्होंने कहा, 'लाखों लोग मानते हैं कि अगर आप अमीर हैं और आपके पास पैसा है, तो आप भारतीय परीक्षा प्रणाली को खरीद सकते हैं और विपक्ष भी यही सोचता है।' उन्होंने इस मामले पर एक दिन की अलग चर्चा की मांग की।
हालाँकि, प्रधान ने राहुल गांधी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, 'पिछले 7 सालों में पेपर लीक का कोई सबूत नहीं मिला है। यह (नीट) मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि एनटीए के बाद 240 से अधिक परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गई हैं।'
शिक्षा मंत्री को घेरने की कोशिश में राहुल ने पूछा, 'चूंकि नीट एक सिस्टेमैटिक मुद्दा है तो आप इस मुद्दे को ठीक करने के लिए वास्तव में क्या कर रहे हैं?' प्रधान ने तीखे जवाब देते हुए कहा, 'सिर्फ़ चिल्लाने से झूठ सच नहीं हो जाता। विपक्ष के नेता का यह कहना कि देश की परीक्षा प्रणाली बकवास है, बेहद निंदनीय है।'
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं से निपटने के उद्देश्य से एक नया कानून लाया है। मंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती यूपीए शासन में भी इसी तरह के विधेयक पेश किए गए थे, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस ने दबाव में उन्हें रद्द कर दिया। चर्चा तब और भी गरम हो गई जब समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव इस मुद्दे से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना करते हुए इस विवाद में शामिल हो गए।
अख़िलेश ने कहा, 'यह सरकार पेपर लीक का रिकॉर्ड बनाएगी। कुछ केंद्र ऐसे हैं जहां 2,000 से अधिक छात्र पास हुए हैं। जब तक यह मंत्री हैं, छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा।'
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को जवाब देते हुए प्रधान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार परिणाम सार्वजनिक किए गए हैं। उन्होंने कहा, 'मैं राजनीति नहीं करना चाहता, लेकिन मेरे पास अखिलेश यादव के कार्यकाल में कितने पेपर लीक हुए, इसकी सूची है।'