पहले तो सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं और अब रेत में दफन शवों के साथ भी क्रूरता! गंगा किनारे रेत में दबाए गए शवों से रामनामी चादर रूपी कफन को भी हटाने की तसवीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इस हद तक संवेदनशीलता और मानवता ख़त्म हो गई है!
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी एक वीडियो को शेयर किया है जिसमें कुछ लोग रेत में दफन शवों से रामनामी हटा रहे हैं। प्रियंका ने लिखा है कि 'जीते जी ढंग से इलाज नहीं मिला, कई को सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं और अब कब्रों से रामनामी छीनी जा रही है।' प्रियंका ने ट्वीट कर लिखा है कि ये अनादर है- मृतक का, धर्म का, मानवता का।
हालाँकि, प्रियंका ने ट्विटर पर जो वीडियो शेयर किया है उसमें यह नहीं लिखा है कि वह वीडियो कहाँ का है। उन्होंने यह ज़रूर लिखा है कि छवि चमकाने के लिए सरकार पाप करने पर उतारू है। उन्होंने यह सवाल भी पूछा है कि यह कौन-सा सफ़ाई अभियान है। ट्विटर पर दूसरे लोगों ने भी जो वीडियो शेयर किए हैं उसमें कहा जा रहा है कि यह गंगा किनारे रेत में दफन शवों के ऊपर के कफन हैं।
वीडियो में दिखता है कि रेत में कई जगहों पर लकड़ियाँ गाड़ी हुई हैं और जगह-जगह पर कफन जैसी चमकीली चादरें हैं। कुछ लोग उन लकड़ियों और उन कफन जैसी चादरों को हटा रहे हैं। कुछ जगहों पर लकड़ी के ढेर भी दिखते हैं।
हाल में उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे कई जगहों से शवों के गंगा में तैरते मिलने और रेत में दफ़न शवों की तसवीरें और वीडियो सामने आए हैं। ऐसी भयावह तसवीर के लिए राज्य सरकार और मोदी सरकार पर कोरोना संकट से निपटने में विफल रहने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
यूपी में गंगा किनारे रेत में दफन शवों के लिए योगी सरकार निशाने पर रहे हैं। ऐसे मामले राज्य में कई जगहों से आए। प्रयागराज से भी ऐसे मामले आए।
हाल ही प्रयागराज में गंगा किनारे रहने वाले लोगों की शिकायतें थीं कि कुत्ते कब्रों को खोद रहे थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच प्रयागराज नगर निगम ने अब संगम क्षेत्र में गंगा के तट पर एक टीम तैनात की है ताकि इलाक़े में बारिश के कारण रेत हटने से जो सैकड़ों कफन दिखने लगे हैं उन शवों को ढंका जा सके।
रेत से उन कफनों को तो हटाया ही जा रहा है, रेत में दबे शवों के चारों ओर इस्तेमाल की गईं लकड़ियाँ भी निकाली जा रही हैं। सवाल है कि ऐसा क्यों किया गया?
आरोप लगाया जा रहा है कि ऐसा इसलिए ताकि कैमरे पर कब्रों का पता न चल सके। वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने ट्विटर पर यही लिखा है।
हाल के दिनों में दिखा है कि देश के मीडिया के कुछ हिस्सों के अलावा न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इन घटनाओं की रिपोर्टिंग की है और रेत में दफन शवों की तसवीरें छापी हैं। समझा जाता है कि इससे मोदी सरकार की छवि धुमिल हुई है। इसकी चिंता बीजेपी और संघ को कितनी है इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि संघ ने बीजेपी पदाधिकारियों के साथ रविवार शाम को बैठक की और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल रहे। सूत्रों के हवाले से आई ख़बर के अनुसार इस बैठक में कोरोना संकट के चलते पार्टी की छवि को हुए नुक़सान और 8 महीने बाद होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसका क्या असर हो सकता है, इस पर मंथन हुआ।
कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के नतीजों ने भी बीजेपी और संघ को परेशान किया है। पंचायत चुनाव में एसपी को बीजेपी से ज़्यादा सीटें मिलीं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो एसपी और आरएलडी के गठजोड़ ने बीजेपी को ख़ासा नुक़सान पहुंचाया। बीजेपी का अपने गढ़ माने जाने वाले अयोध्या, मथुरा और वाराणसी में भी प्रदर्शन ख़राब रहा।