पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पंचतत्व में विलीन, सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार 

03:04 pm Sep 01, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। मंगलवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनका सोमवार को निधन हो गया था। वह 84 वर्ष के थे। सरकार ने उनके सम्मान में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। 

इससे पहले अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए मुखर्जी के पार्थिव शरीर को उनके आधिकारिक आवास पर रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी। 

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सम्मान के रूप में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक पूरे भारत में राजकीय शोक रहेगा। बयान में यह भी कहा गया है, 'राजकीय शोक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज पूरे भारत के जिन भवनों पर फहराया जाता है वहाँ हाफ़-मास्ट पर फहराया जाएगा। कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा।'

देश के 13वें राष्‍ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था। उन्होंने ख़ुद ही ट्वीट कर कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी। इसके साथ ही उनके ब्रेन की सर्जरी भी हुई थी और उनका 20 दिनों तक अस्पताल में इलाज चला था। सर्जरी के बाद से ही वह वेंटिलेटर पर थे। 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर कहा है, ‘प्रणब मुखर्जी के निधन के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा है। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। मैं उनके परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूं।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश दुखी है। वह विद्वान थे, एक बड़े कद के राजनेता थे, पूरे राजनीतिक जगत और समाज के सभी वर्गों के बीच उनकी प्रशंसा होती थी।’

देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न ने सम्मानित प्रणब मुखर्जी को एक कुशल राजनेता, सक्षम प्रशासक, अच्छे वक्ता और उससे भी अच्छे इन्सान के रूप में याद किया जाएगा। एक ऐसा राजनीतिज्ञ जिसका कोई दुश्मन नहीं था, विरोधी कई थे। एक ऐसा राजनेता जिसके विरोधी तो अपने दल में भी थे, लेकिन दुश्मन विरोधी दल में भी नहीं था। उन्होंने केंद्र में वित्त, विदेश जैसे अहम विभागों को संभाला था।