कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार वालों से मिलने हाथरस जाने वाले हैं लेकिन उनको पहले ही रोकने की तैयारी शुरू हो गई है। रिपोर्ट है कि हाथरस गाँव को सील कर दिया गया है और अधिकारियों ने कोरोना को इसका कारण बताया है। पीड़िता के साथ जिस तरह की दरिंदगी हुई व उसकी मौत के बाद जिस तरह से उसके परिवार के साथ पेश आया गया है उससे आम लोगों के ग़ुस्से का सामना तो करना ही पड़ा है अब राजनीतिक दल भी इस मामले को ज़ोर शोर से उठा रहे हैं। हाथरस गैंगरेप मामले में चौतरफ़ा आरोप झेल रहे योगी सरकार के लिए मुश्किलें अब और भी बढ़ गई हैं।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रशासन ने हाथरस में गैंगरेप पीड़िता के घर किसी के भी जाने पर रोक लगा दी है। 'एनबीटी' की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे ज़िले में धारा-144 लागू कर सीमाएँ सील कर दी गई हैं। इस तरह से कहा जा सकता है कि ज़िला प्रशासन राहुल और प्रियंका को बॉर्डर पर ही रोकने की तैयारी कर रहा है।
राहुल गाँधी लगातार इस मामले पर ट्विटर पर योगी सरकार पर हमला करते रहे हैं। उन्होंने आज भी ट्वीट कर उत्तर प्रदेश में 'जंगलराज' होने, 'बेटियों पर ज़ुल्म' और 'सरकार की सीनाज़ोरी' का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि कभी जीते-जी सम्मान नहीं दिया और अंतिम संस्कार की गरिमा भी छीन ली।
हाथरस का मामला पूरे देश को झकझोर देने वाला है। पीड़िता के साथ अमानवीयता की हदें तो पार की ही गई हैं, उसकी मौत के बाद पीड़िता के परिवार वालों के साथ जिस तरह से पेश आया जा रहा है वह कम झकझोरने वाला नहीं है।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में ज़िंदगी की जंग हार जान के बाद रेप पीड़िता के शव को घरवालों के हवाले न करते हुए पुलिस उसे 'चोर दरवाजे' से निकाल हाथरस पहुँच गयी। हाथरस में मंगलवार देर रात ढाई बजे बिना घरवालों की मौजूदगी के पुलिस ने ही अंतिम संस्कार कर डाला। पीड़िता के भाई संदीप ने कहा कि माँ अपनी बेटी का शव देखना चाहती थी और वह पुलिस से गिड़गिड़ाती रही पर पुलिस ने मुँह तक नहीं देखने दिया। उन्होंने कहा कि माँ आंचल फैलाकर भीख माँगती रही पर पुलिस ने संवेदनहीनता की हदें पार दीं।
इससे पहले दरिंदों ने 19 साल की इस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और उसकी जीभ भी काट दी थी। लड़की की पीठ में भी गहरी चोटें आई थीं। पुलिस ने बताया था कि उसकी गले की हड्डी में भी चोट है क्योंकि बलात्कारियों ने चुन्नी से उसका गला घोटने की कोशिश की थी। इस घटना के बाद परिवार आरोप लगाता रहा कि पुलिस ने कार्रवाई करने में देरी की और कई दिनों बाद तक शिकायत तक दर्ज नहीं की गई। उनका आरोप था कि क्योंकि वे दलित समाज से आते हैं इसलिए उनकी कोई सुनने वाला नहीं था।