लीजिए, प्रधानमंत्री मोदी ने अब महात्मा गांधी को भी नहीं छोड़ा। अब तो वह महात्मा गांधी को लेकर ही अजीबोगरीब बात कह गए। उन्होंने कह दिया कि महात्मा गांधी को दुनिया भर में लोगों ने फिल्म बनने के कारण जाना, पहले कोई नहीं जानता था।
प्रधानमंत्री मोदी ने तो यहाँ तक कह दिया कि 'महात्मा गांधी एक महान आत्मा थे। क्या इस 75 साल में हमारी ज़िम्मेदारी नहीं थी कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जाने। कोई नहीं जानता था महात्मा गांधी को। पहली बार जब गांधी फिल्म बनी तब दुनिया में क्यूरियोसिटी हुई कि कौन क्या है। हमने नहीं किया।' उन्होंने आगे कहा, 'अगर दुनिया मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला को जानती है तो गांधी उनसे कम नहीं थे और आपको यह स्वीकार करना होगा। मैं दुनिया भर की यात्रा करने के बाद यह कह रहा हूं कि गांधी और उनके माध्यम से भारत को मान्यता मिलनी चाहिए थी।'
प्रधानमंत्री मोदी ने एबीपी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। उन्होंने विपक्ष की भारत की संस्कृति और मूल्यों की समझ के बारे में एक सवाल के जवाब में यह कहा। मोदी ने महात्मा गांधी को उस तरह से प्रचारित न करने के लिए पिछली कांग्रेस नीत सरकारों की आलोचना की जिसके वे हकदार थे। बता दें कि रिचर्ड एटनबरो ने 1982 में फिल्म 'गांधी' बनाई थी। तो सवाल है कि क्या दुनिया 1982 से पहले गांधी को जानती नहीं थी?
दरअसल, प्रभावशाली राजनीतिक नेता मोहनदास करमचंद गांधी इतिहास में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाले सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं। उल्लेखनीय है कि गांधी को 1937 और 1948 के बीच प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पांच बार नामांकित किया गया था, लेकिन उन्हें कभी पुरस्कार नहीं मिला। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में लिखा था, 'आने वाली पीढ़ियाँ मुश्किल से ही यह विश्वास कर पाएँगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।'
बहरहाल, पीएम मोदी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने भारत सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी का ज़िक्र करते हुए ही कहा है, 'गांधी जी पर पहली किताब, उनकी जीवनी 1909 में लिखी गई थी दक्षिण अफ़्रीका में। लेखक एक अंग्रेज़ पादरी थे - रेवरेंड डोके। गांधीजी उसके छह साल बाद भारत लौटे थे। तब तक वे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में जाने जा चुके थे, आज की भाषा में सेलेब्रिटी बन चुके थे। वैसे तो आज के भक्त विद्वानों के आगे बेचारे आइंस्टाइन क्या हैं लेकिन उन जैसे छोटे-मोटे विज्ञानी जब गांधी के बारे में अभूतपूर्व शब्दों में प्रशंसा कर रहे थे तब एटनबरो की फ़िल्म 'गांधी' का विचार भी पैदा नहीं हुआ था।'
पत्रकार पीयूष बाबेले ने लिखा गांधी जी की ख्याति फ़िल्म से नहीं, उनके संघर्ष से फैली थी। उन्होंने कहा, 'टॉलस्टॉय ने गांधी के अफ़्रीका संघर्ष की तुलना ईसा मसीह से कर दी थी और रोम्याँ रोलाँ ने उन्हें कृष्ण का अवतार कह दिया था।'
राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, "सिर्फ ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ के छात्र को ही महात्मा गांधी के बारे में जानने के लिये फिल्म देखने की ज़रूरत रही होगी।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'जिनके वैचारिक पूर्वज नाथूराम गोडसे के साथ महात्मा गाँधी जी की हत्या में शामिल थे, वो बापू द्वारा दिए गए सत्य के मार्ग पर कभी नहीं चल सकते। अब झूठ झोला उठाकर जाने वाला है।'
प्रधानमंत्री मोदी के इस ताज़ा बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने महात्मा गांधी के बारे में जानकारियों और उनके पुराने वीडियो साझा किए। इन ट्वीटों में प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसे गए हैं और निशाना साधा गया है।
बता दें कि 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' के रूप में जाना जाता है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में घोषित किया। उन्हें श्रद्धांजलि के तौर पर केंद्र प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व नेताओं और नागरिकों को वार्षिक महात्मा गांधी शांति पुरस्कार भी प्रदान करता है।