प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे को लेकर सुरक्षा में हुई चूक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता और पंजाब सरकार के अटार्नी जनरल ने अपने तर्क रखे। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सोमवार को फिर से सुनवाई करेगा।
- एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पंजाब सरकार प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मामले की जांच नहीं कर सकती। एसजी ने कहा कि ऐसी संभावना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़ी हो।
- एसजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्थानीय पुलिस प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रही थी। उन्होंने कहा कि वह अदालत को इस बात के लिए धन्यवाद देते हैं कि उसने इस मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि यह घटना भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का कारण बन सकती है और यह रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर घटना है।
- एसजी तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि पीएम का काफिला जब सड़क पर चलता है तो राज्य के डीजीपी से इस बारे में पूरी सलाह ली जाती है। जब डीजीपी कहते हैं कि रोड पूरी तरह साफ है तभी काफिला आगे बढ़ता है। लेकिन उन्होंने सड़क जाम होने को लेकर कोई चेतावनी नहीं दी।
- एसजी तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि प्रधानमंत्री के काफिले के आगे एक गाड़ी भी चल रही थी लेकिन स्थानीय पुलिस ने इस गाड़ी में मौजूद सुरक्षाकर्मियों को भी नहीं बताया कि फ्लाईओवर पर रास्ता जाम किया हुआ है।
इस मामले में अदालत में याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भटिंडा से फिरोजपुर और हुसैनीवाला जाने तक से जुड़े सभी दस्तावेजों को जिलाधिकारी द्वारा कब्जे में ले लिया जाए।
दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का आदेश
सारी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल प्रधानमंत्री की यात्रा से जुड़े सभी दस्तावेजों को अपने पास सुरक्षित रख लें। सीजेआई एनवी रमना ने पंजाब सरकार और केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई कमेटियों से कहा कि वे सोमवार तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनआईए के अफसर और डीजीपी चंडीगढ़ को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में बनी कमेटी में रखा जा सकता है।
सुनवाई के दौरान सीजेआई रमना ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या उसने इस मामले में अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है, इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा- नहीं। पंजाब सरकार के अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि उनकी सरकार के अफसरों को नोटिस भेजा गया है और समन भी किया गया है।
- पंजाब सरकार के अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि पंजाब पुलिस ने एसपीजी को कुछ सलाह दी थी लेकिन एसपीजी की ओर से उन्हें फॉलो नहीं किया गया। उन्होंने मांग की कि इस मामले में एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जानी चाहिए।
- अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि पंजाब सरकार इस मामले को बिल्कुल भी हल्के में नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और घटना वाले दिन ही राज्य सरकार की ओर से एक कमेटी का गठन कर दिया गया था।
इस घटना को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के तमाम नेता आमने-सामने आ गए हैं। पंजाब में 2 महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं और ऐसे में यह मुद्दा खासा गर्म हो गया है।
उधर, पंजाब सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंप दी है। पंजाब के मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने इस रिपोर्ट में सुरक्षा में हुई चूक से जुड़े सभी बिंदुओं को शामिल किया है। पंजाब सरकार ने 2 सदस्यों वाली एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था।
उधर, इस मामले में गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस पर कुछ और आरोप लगाए हैं। गृह मंत्रालय के एक अफसर ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों के बारे में खुफिया इनपुट होने के बाद भी पंजाब पुलिस ने ब्लू बुक को फॉलो नहीं किया और प्रधानमंत्री के जाने के लिए कोई आकस्मिक रास्ता तैयार नहीं किया।
स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप यानी एसपीजी की ब्लू बुक में प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी बातें होती हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक गृह मंत्रालय के अफसर ने कहा कि ब्लू बुक के मुताबिक राज्य सरकार की पुलिस को किसी विपरीत हालात के लिए एक आकस्मिक रास्ता तैयार रखना होता है, जैसे हालात पंजाब में बने।