परेशान न हों, सोशल मीडिया नहीं छोड़ रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

03:23 pm Mar 03, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

यदि आप इस बात से चिंतित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स छोड़ रहे हैं तो परेशान न हों। आप इस बात को लेकर दुविधा में न पड़ें कि इतने लोकप्रिय प्रधानमंत्री फ़ेसबकु, ट्विटर और इन्सटाग्राम के अपने करोड़ों समर्थकों को छोड़ कर क्यों जा रहे हैं।

मोदी कहीं नहीं जा रहे हैं, वह कोई सोशल मीडिया अकाउंट बंद नहीं कर रहे हैं। वह फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्सटाग्राम और यूट्यूब पर बने रहेंगे। ख़ुद मोदी ने यह जानकारी दी है और वह भी सोशल मीडिया पर। 

मोदी ने साफ़ कर दिया है कि वह महिला दिवस के मौके पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स उन महिलाओं को समर्पित कर देंगे 'जो और जिनके काम लोगों को प्रेरणा देते हैं।' 

उन्होंने यह भी कहा कि इससे दसियों लाख महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने सबसे कहा है कि वह लोगों को प्रेरणा देने लायक कहानियाँ साझा करें। इसके लिए मोदी ने #SheInspiresUs हैशटैग भी बना लिया है। 

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि महिलाओं की साझा की हुई कहानियों को वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर करेंगे। इससे उनकी सफलता की कहानियाँ और उनके काम से दूसरी महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने ख़ुद ट्वीट कर यह जानकारी दी है। 

दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ़ एक दिन पहले यानी सोमवार को उन्होंने साफ़ तौर पर कहा था कि रविवार को फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब को अलविदा कहने की सोची है। उन्होंने यह जानकारी ट्विटर पर शेयर की और कहा कि वह इस बारे में अवगत कराएंगे। 

मोदी ट्विटर, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर दुनिया में सबसे ज़्यादा फॉलो किए जाने वाले नेताओं में से एक हैं। ट्विटर पर उनको 53.3 मिलियन लोग फ़ॉलो करते हैं। फ़ेसबुक पर उनके पेज को 44 मिलियन से ज़्यादा लोग पसंद करते हैं। इंस्टाग्राम पर भी उनको 35 मिलियन से ज़्यादा लोग फ़ॉलो करते हैं।

मोदी सबसे लोकप्रिय नेताओं में एक हैं और उनकी लोकप्रियता में सोशल मीडिया अकाउंट्स की ज़बरदस्त भूमिका है। लेकिन उन पर यह आरोप भी लगता रहा है कि वह ऐसे ट्रोल करने वालों को फ़ॉलो करते रहे हैं जो सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि गालियाँ देने वाले लोगों को भी वह ट्विटर पर फ़ॉलो करते हैं। इसको लेकर उनकी काफ़ी आलोचना होती रही है।