सैम पित्रोदा के 'इनहैरिटेंस टैक्स' वाले बयान को बीजेपी ने लपक लिया है। कांग्रेस के मैनिफेस्टो के बारे में संपत्ति के फिर से बँटवारे और संपत्ति को 'घुसपैठिए' को देने का आरोप लगा रही बीजेपी अब और हमलावर हो गई है। हालाँकि, कांग्रेस ने सैम पित्रोदा के बयान से खुद को अलग कर लिया है और यह उनकी निजी राय बताई है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और दूसरे बीजेपी नेताओं ने इसको बड़ा मुद्दा बना दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी रैली में कहा कि अब कांग्रेस उससे भी एक क़दम आगे चली गई है और कह रही है कि वह इनहैरिटेंस टैक्स लगाएगी। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आप जो अपनी मेहनत से पैसे जुटाते हैं वह आपके बच्चों को नहीं मिलेगी, बल्कि कांग्रेस सरकार का पंजा उसे भी आपसे छीन लेगा। उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस का मतलब है- कांग्रेस की लूट। ज़िंदगी के साथ भी ज़िंदगी के बाद भी।'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस पर बयान दिया है। एएनआई से उन्होंने कहा, 'सैम पित्रोदा की टिप्पणी के बाद कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से बेनकाब हो गई है। सबसे पहले उनके घोषणा पत्र में 'सर्वे' का ज़िक्र, मनमोहन सिंह का पुराना बयान कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है, और अब सैम पित्रोदा की अमेरिका का हवाला देते हुए टिप्पणी कि धन के वितरण पर विचार-विमर्श होना चाहिए।'
उन्होंने आगे कहा, 'जब पीएम मोदी ने यह मुद्दा उठाया, तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी इस बात पर बैकफुट पर है कि यह उनका मकसद कभी नहीं था। लेकिन आज सैम पित्रोदा के बयान ने देश के सामने कांग्रेस का मकसद स्पष्ट कर दिया है, वे देश के लोगों की निजी संपत्ति का सर्वेक्षण करना चाहते हैं।'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि इनहैरिटेंस टैक्स पर सैम पित्रोदा की टिप्पणी पार्टी की स्थिति को नहीं दिखाती है। उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से लोकतंत्र में एक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत विचारों पर चर्चा करने, उसे व्यक्त करने और बहस करने के लिए स्वतंत्र है। इसका मतलब यह नहीं है कि पित्रोदा के विचार हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति को दिखाते हैं। कई बार वे ऐसा नहीं दर्शाते हैं।'
यह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा द्वारा इनहैरिटेंस टैक्स यानी विरासत कर का जिक्र करने के बाद आया है। संपत्ति के फिर से बँटवारे जैसी योजना को लेकर हमले पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर सैम पित्रोदा जवाब दे रहे थे। इसमें उन्होंने कहा कि जाति सर्वे करने का यह मतलब नहीं है कि जिसके पास संपत्ति ज़्यादा है उसका बँटवारा होगा। उन्होंने कहा कि इससे यह पता चलेगा कि किसके पास धन नहीं है और उसके अनुसार योजना बनाई जाएगी।
इसी क्रम में पित्रोदा ने अमेरिकी प्रणाली का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में जब ज़्यादा संपत्ति वाले किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी संपत्ति का केवल एक हिस्सा उनके बच्चों को हस्तांतरित किया जा सकता है, जबकि सरकार एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी का दावा करती है।
उन्होंने कहा, 'अमेरिका में एक विरासत कर है। यदि किसी के पास 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 प्रतिशत अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है, 55 प्रतिशत सरकार द्वारा कब्जा कर लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है। आप कहते हैं कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब जा रहे हैं, तो आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए, पूरी नहीं, आधी, जो मुझे उचित लगती है।'
उन्होंने आगे कहा, 'भारत में आपके पास ऐसा नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता। तो ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लोगों को बहस और चर्चा करनी होगी। हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात कर रहे हैं, हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं जो लोगों के हित में हैं न कि केवल अति-अमीरों के हित में।'
पित्रोदा के बयान पर प्रतिक्रियाएँ आने पर जयराम रमेश ने कहा, 'अब उनकी टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाना और उन्हें संदर्भ से बाहर करना नरेंद्र मोदी के दुर्भावनापूर्ण और शरारती चुनाव अभियान से ध्यान हटाने के लिए जानबूझकर और हताशा भरा प्रयास है; जो केवल झूठ और अधिक झूठ पर आधारित है।'
बाद में पित्रोदा ने बुधवार सुबह अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण जारी किया और कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका में विरासत कर पर एक व्यक्ति के रूप में मैंने जो कहा, उसे गोदी मीडिया ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है ताकि प्रधानमंत्री कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में जो झूठ फैला रहे हैं, उससे ध्यान भटका सके। मंगलसूत्र और सोना छीनना बिलकुल अवास्तविक है।'