कोरोना वैक्सीन नीति पर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना वाले पोस्टर का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है। इन पोस्टरों को चिपकाने वालों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इसमें अदालत से अपील की गई है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा करते हुए एफ़आईआर रद्द की जाए।
पोस्टर के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा एफ़आईआर दर्ज किए जाने और आरोपियों की गिरफ़्तारी के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने आरोप लगाए कि क्या नीतियों के लिए सरकार की आलोचना करना भी गुनाह है। इसके बाद सोशल मीडिया पर 'मुझे भी गिरफ़्तार करो' अभियान चलाया गया।
जिस पोस्टर को लेकर इतना हंगामा मचा है उस पर लिखा गया था, 'मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया?' कोरोना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ राजधानी में पोस्टर लगाने के आरोप में कम से कम 24 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।
गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के चार अलग-अलग डिवीजनों द्वारा की गई। इसमें पूर्वी रेंज, पूर्व, मध्य और पूर्वोत्तर शामिल हैं। बता दें कि दिल्ली की पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। पुलिस ने रविवार को कहा था कि इन पोस्टरों के पीछे दिल्ली की आम आदमी पार्टी के सदस्यों का हाथ है और एक आरोपी अरविंद गौतम पकड़ से दूर है।
इसी गिरफ़्तारी और एफ़आईआर के ख़िलाफ़ प्रदीप कुमार नाम के याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुँचने से पहले ट्विटर पर लोगों ने इस पोस्टर के समर्थन में अभियान चलाया है। इसमें राहुल गाँधी जैसे नेता से लेकर तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा तक शामिल हैं। कथित तौर पर पोस्टर चिपकाने वालों पर कार्रवाई के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, मुझे भी गिरफ़्तार करो।
इस मामले में महुआ मोइत्रा ने भी ट्वीट किया और लिखा कि पूरी तरह वाजिब सवाल है।
कांग्रेस पार्टी और इसके नेताओं ने भी पोस्टर को ट्वीट करते हुए चुनौती दी है कि उन्हें भी गिरफ़्तार किया जाए। बता दें कि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष देश में वैक्सीन नीति को लेकर सरकार को घेरता रहा है। इनका आरोप है कि सरकार इस मामले में पूरी तरह विफल साबित हुई है।