सीबीआई ने बुधवार को ऑक्सफैम इंडिया और अन्य के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की है। इन पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम यानी एफसीआरए का उल्लंघन किया है। कुछ दिनों पहले ही गृह मंत्रालय ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। यह कार्रवाई इसलिए की जा रही है कि इस मामले में शिकायत की गयी थी।
शिकायत में कहा गया है कि ऑक्सफैम इंडिया को सामाजिक गतिविधियों को चलाने के लिए एफसीआरए पंजीकरण मिला है, लेकिन सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च यानी सीपीआर को उसके सहयोगियों या कर्मचारियों के माध्यम से कमीशन- पेशेवर या तकनीकी सेवाओं - के रूप में भुगतान किया जाता है। आरोप लगाया गया है कि यह घोषित उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है। यह एफसीआरए 2010 की धारा 8 और 12(4) का उल्लंघन है।
ऑक्सफैम इंडिया और सीपीआर, इन दोनों पर पिछले साल भी कार्रवाई की गई थी। सितंबर महीने में दिल्ली स्थित स्वतंत्र थिंकटैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और अंतरराष्ट्रीय चैरिटी संगठन ऑक्सफैम में आयकर विभाग द्वारा तलाशी ली गई थी।
तब सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि यह कार्रवाई 20 से अधिक पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की फंडिंग से जुड़ी है। फंडिंग के बारे में थिंकटैंक की वेबसाइट पर कहा गया कि भारत सरकार द्वारा एक ग़ैर-लाभकारी सोसायटी के रूप में मान्यता प्राप्त होने के कारण इसमें योगदान कर-मुक्त है।
बहरहाल, अब ऑक्सफैम पर कार्रवाई की जा रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा है कि ऑक्सफैम इंडिया को सामाजिक गतिविधियों के लिए एफसीआरए, 2010 के तहत पंजीकृत किया गया था और उनका पंजीकरण 31 दिसंबर, 2021 तक वैध था। इस दौरान गृह मंत्रालय ने कथित तौर पर कई बड़े उल्लंघन पाए, जिसके बाद उन्होंने कानूनी कार्रवाई के लिए इसे सीबीआई के पास भेज दिया।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'एमएचए ने पाया कि एफसीआरए, 2020 के लागू होने के बाद भी ऑक्सफैम इंडिया ने विभिन्न संस्थाओं को विदेशी योगदान हस्तांतरित करना जारी रखा, जो इस तरह के हस्तांतरण पर रोक लगाता है। संशोधन 29 सितंबर, 2020 को लागू हुआ और ऑक्सफैम इंडिया ने एफसीआरए, 2010 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अन्य गैर सरकारी संगठनों को धन हस्तांतरित किया।'
बता दें कि यह यही ऑक्सफैम है जिसकी अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम इंटरनेशनल ग़रीबी-अमीरी पर रिपोर्ट जारी करती रही है।
इस साल जनवरी में जारी रिपोर्ट में ऑक्सफैम ने कहा था कि अब भारत में एक फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा है, जबकि आबादी के निचले हिस्से के पास सिर्फ 3 फीसदी संपत्ति है।
ऑक्सफैम की यह रिपोर्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक से पहले आई थी। इस फोरम में तमाम देश विश्व के आर्थिक हालात पर बात करते हैं और यह भी सोचते हैं कि लोगों का जीवनस्तर कैसे उठाया जाए, लेकिन ऑक्सफैम की रिपोर्ट से पता चलता है कि तमाम देश नीतियां अमीर लोगों के अनुकूल ही बना रहे हैं।
ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के दस सबसे अमीर लोगों पर सिर्फ 5 फीसदी टैक्स लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है।
पिछले साल इसने रिपोर्ट में कहा था कि कोरोना संक्रमण से 2021 में जब देश में तबाही मची थी तब भी भारतीय अमीरों की संपत्ति दोगुनी हो रही थी। लेकिन इसके साथ ही क़रीब 84 फ़ीसदी भारतीय परिवारों की आय कम हो गई थी।