2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट को चुनावी बजट कहा जा रहा है। इसमें जो घोषणाएँ की गई हैं उसको लोकलुभान बताया जा रहा है। सरकार इस बजट को अभूतपूर्व बता रही है, लेकिन विपक्षी दल सरकार की आलोचना कर रहे हैं। जानिए उनकी नज़र में यह बजट कैसा है।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर इस बजट की मुख्य घोषणाएँ क्या हैं। मोदी सरकार के इस बजट में नौकरी-पेशा वर्ग को इनकम टैक्स के मोर्चे पर लंबे समय बाद राहत मिली। टैक्स छूट की 5 लाख की सालाना आय की सीमा बढ़ाकर 7 लाख कर दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट 66% बढ़ाकर 79 हजार करोड़ किया गया है। 50 अतिरिक्त हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट बनेंगे। दो साल के लिए महिला सम्मान बचत प्रमाण पत्र मिलेगा, 2 लाख तक जमा पर 7.5% ब्याज। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में जमा सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख किया गया। प्रमुख स्थानों पर 157 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए जाएँगे।
लेकिन इसके साथ ही ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर खर्च घटाकर 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इन घोषणाओं को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेता शशि थरूर ने कहा है, 'बजट में कुछ अच्छी चीजें हैं लेकिन मनरेगा, गरीब, ग्रामीण श्रम, रोजगार और महंगाई का कोई ज़िक्र नहीं था। कुछ बुनियादी सवालों के जवाब बाकी रह गए।'
जदयू सांसद राजीव रंजन ने कहा, "बजट-2023 में कुछ भी नहीं है। यह 'सपनों का सौदागर' जैसा है - जब आप सपने के बाद जागते हैं तो कुछ भी सच नहीं होता है। इसके अलावा, महंगाई और बेरोजगारी को कैसे नियंत्रित किया जाए, इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया।"
कांग्रेस ने बजट पेश किए जाने पर प्रतिक्रिया में एक ट्वीट कर तंज कसा। इसने एक तसवीर साझा कर लिखा है कि दावों और हक़ीकत में फर्क है।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने एएनआई से कहा है, 'यह बजट वही है जो पिछले 8-9 साल से आ रहा था। टैक्स बढ़ाए गए, कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है। कुछ सांठगांठ वाले पूंजीपतियों और बड़े कारोबारियों के लिए टैक्स वसूला जा रहा है। जनता को टैक्स से फायदा होना चाहिए लेकिन इससे उसकी कमर टूट रही है।'
कांग्रेस नेता के सुरेश ने भी कहा है, 'एक कॉर्पोरेट समर्थक बजट है। इस बजट में अडानी के सारे हित पूरे हैं, लेकिन आम आदमी की उपेक्षा की गई है। यह बजट अडानी, अंबानी, गुजरात के लिए है।'
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने पिछले बजट की घोषणाओं का हवाला देते हुए जुमलाबाजी क़रार दिया है।
आप नेता संजय सिंह ने कहा है कि देखना है कि इस बजट से कितना 'अमृत' बरसेगा?
बसपा प्रमुख मायावती ने भी कहा है कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। उन्होंने कहा, 'पिछले साल की कमियाँ कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दाँव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?'
मायावती ने आगे कहा, 'सरकार की संकीर्ण नीतियों व ग़लत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों ग़रीबों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं। सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दे ताकि आमजन की जेब भरे व देश विकसित हो।'
उन्होंने कहा, 'केन्द्र जब भी योजना, लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करे तो उसे ज़रूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ ग़रीबों, मज़दूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर।'