तवांग झड़प: संसद परिसर में विपक्ष का प्रदर्शन, चर्चा की मांग

12:25 pm Dec 21, 2022 | सत्य ब्यूरो

तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने बुधवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया है। इसे लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार हंगामा भी हो रहा है। कांग्रेस सहित विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा न होने के विरोध में सदन से वॉकआउट भी किया है। लगातार हंगामे की वजह से कई बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा है। 

विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहे। विपक्षी नेताओं ने पूछा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन पर चुप्पी कब तोड़ेंगे। 

इससे पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है। इस मुद्दे पर हम चर्चा नहीं करेंगे तो और किस मुद्दे पर करेंगे? 

कांग्रेस ने कहा है कि 15 दिनों से संसद का सत्र चल रहा है। देश और जनता के मुद्दे- राष्ट्रीय सुरक्षा, चीनी अतिक्रमण, महंगाई, बेरोजगारी पर सरकार बहस करने से भाग रही है।कांग्रेस ने पूछा है कि क्या मोदी सरकार, देश के 135 करोड़ लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं है? संसद में चर्चा करिए, ताकि पूरा देश एकसाथ चुनौती का मिलकर मुकाबला करे।

बताना होगा कि चीन और भारत के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाके में ही झड़प हुई थी। इस हिंसक झड़प में दोनों ओर से किसी भी जवान की मौत नहीं हुई लेकिन दोनों ओर के जवान घायल हुए थे। 

राजनाथ सिंह ने संसद में बयान देते हुए कहा था कि चीनी सैनिकों ने यांगस्ते इलाके में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया। 

चीन पर चर्चा की मांग

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन पर संसद में बहस से "भागने" का आरोप लगाया है और कहा है कि उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए न कि रक्षा मंत्री को। विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री अपने मुंह से "चीन" का नाम तक नहीं लेते और क्या यह चुप्पी उस देश के साथ "घनिष्ठ संबंधों" के कारण है।

खड़गे ने पूछे थे सवाल

कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि आप 2014 के बाद 18 बार शी जिनपिंग से मिले हैं। 16 बार सैन्य वार्ता हुई है। ये बताइए कि क्या चीन अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति को मानने को तैयार नहीं है? तवांग, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं। हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री सभी वहां जाते रहते हैं। इसके बावजूद चीन किस अधिकार से उस इलाक़े में घुसपैठ करना चाहता है?