कृषि विधेयक: राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित, आज राष्ट्रपति से मिलेंगे आज़ाद

02:54 pm Sep 23, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कृषि विधेयकों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच चल रहा घमासान थमता नहीं दिख रहा है। हरियाणा और पंजाब में किसानों का आंदोलन जारी है और इसी बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मिल गया है। 

कृषि विधेयकों के मसले पर जारी गतिरोध के बीच आज़ाद बुधवार शाम को 5 बजे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिलेंगे। माना जा रहा है कि वे राष्ट्रपति को इन विधेयकों को लेकर विपक्ष और किसानों की चिंताओं के बारे में बताएंगे। क्योंकि विपक्ष लगातार इन्हें किसानों के ख़िलाफ़ बता रहा है और 25 सितंबर को किसानों के साथ ही बड़े प्रदर्शन की तैयारी में जुटा हुआ है। ऐसे में कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है क्योंकि सरकार इस मसले पर अपने पांव वापस खींचने के लिए तैयार नहीं है। 

सरकार के सामने रखी तीन मांगें 

अब यह साफ है कि कृषि विधेयकों के मसले पर विपक्ष ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जोरदार मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को विपक्ष ने एलान किया था कि जब तक उसकी तीन मांगें नहीं मानी जातीं, वह राज्यसभा का बहिष्कार जारी रखेगा। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने उग्र तेवर अपनाते हुए मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद सदन से वॉक आउट कर दिया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सांसद भी कांग्रेस का साथ देते हुए सदन से बाहर चले गए थे। 

सांसदों का निलंबन वापस हो 

विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि तीन मांगों में सबसे प्रमुख मांग 8 सांसदों का निलंबन वापस लेने की है। शून्यकाल के दौरान ग़ुलाम नबी आज़ाद ने यह मांग भी रखी थी कि सरकार जो विधेयक ला रही है, उसमें इस बात को तय किया जाना चाहिए कि निजी क्षेत्र के कारोबारी सरकार द्वारा निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर अनाज की ख़रीद न कर सकें। उन्होंने सरकार से मांग कि एमएसपी को स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए। 

सांसदों ने लॉन में दिया था धरना।

इससे पहले कृषि विधेयकों का पुरजोर विरोध कर रहे विपक्षी दलों के 8 सांसदों ने सोमवार रात को संसद के लॉन में ही धरना दिया। ये वे सांसद हैं, जिन्हें रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद एक हफ़्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को यह कार्रवाई की थी। नायडू का कहना था कि सांसदों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह बेहद ख़राब था। इन सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नाज़िर हुसैन और एलामारान करीम शामिल हैं। राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद रविवार को काफी देर तक हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी। 

किसान आंदोलन को समझिए इस चर्चा के जरिये- 

कृषि विधेयकों को लेकर संसद के दोनों सदनों के अलावा सड़क पर भी जोरदार विरोध हो रहा है। किसानों का कहना है कि वे इन विधेयकों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। 

बिचौलियों के पक्षधर कर रहे विरोध 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आज़ाद किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों के नुक़सान होने के सवालों को लेकर कहा है कि इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए और ज़्यादा विकल्प मिलेंगे और ज़्यादा अवसर मिलेंगे। केंद्र सरकार का कहना है कि इन विधेयकों को लेकर ग़लत सूचना फैलाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों से किसानों को फ़ायदा होगा और जो इसका विरोध कर रहे हैं वे असल में बिचौलियों के पक्षधर हैं और 'किसानों को धोखा' दे रहे हैं।