लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के पास चीन की सेना के साथ झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर नागरिक समाज और कार्यकर्ता तो सवाल पूछ ही रहे हैं विपक्ष भी सरकार से जवाब माँग रहा है। विपक्षी दलों ने सरकार से कहा है कि चीन की आक्रामकता के ख़िलाफ़ दृढ़ता से खड़ा रहा जाए। इसके साथ ही इन दलों ने यह साफ़ करने को कहा है कि सीमा पर बनी वास्तविक स्थिति को देश को बताया जाए।
लद्दाख में तीन प्वाइंट से चीनी घुसपैठ की सूचना मिलने पर कांग्रेस ने सरकार पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'क्या पीएम और रक्षा मंत्री देश को विश्वास दिलाएँगे कि कैसे हमारे अधिकारी और सैनिक मारे गए थे जब चीनी कथित तौर पर गलवान घाटी में हमारे क्षेत्र से हट रहे थे? ... क्या प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री अब आगे आएँगे और राष्ट्र को बताएँगे कि हमारे क्षेत्र का कितना हिस्सा चीन ने अप्रैल/मई 2020 के बाद अवैध रूप से कब्जा कर रखा है?'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया, और पूछा, ' क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी अन्य देश के प्रमुख ने देश में विदेशी सैनिकों की घुसपैठ के 7 सप्ताह बाद तक एक शब्द भी नहीं कहे?'
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने देर रात ट्वीट किया, 'भारत के ख़िलाफ़ चीन द्वारा किए गए जघन्य अपराध पर पूरा देश स्तब्ध और विचलित है...। हमारे शहीदों का ख़ून व्यर्थ नहीं जाएगा, हमें दुश्मन को उस भाषा से जवाब देना होगा जो वे समझते हैं ...।'
सीपीएम ने एक आधिकारिक बयान की माँग की कि वहाँ क्या हुआ। उन्होंने कहा, 'यह ज़रूरी है कि दोनों सरकारें इस स्थिति को ख़त्म करने के लिए तुरंत उच्च स्तरीय वार्ता शुरू करें।'
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि सरकार से इन हालातों में भारत-चीन सीमा पर वास्तविक स्थिति के स्पष्टीकरण की अपेक्षा है।
जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, 'यदि "डी-एस्केलेशन प्रक्रिया" के दौरान चीनी एक भारतीय सेना के कर्नल और दो जवानों को गोली चलाकर मार दे तो कल्पना करें कि स्थिति कितनी बढ़ गई होगी। यह तब होता है जब मीडिया सरकारी लाइन का प्रचार करता है कि सवाल पूछना राष्ट्र-विरोधी है।'
बसपा नेता दानिश अली ने सरकार से स्थिति पर सफ़ाई देने और तेज़ी से कार्य करने को कहा।
जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के दौरान भारतीय सैनिकों को कैसे मारा गया, इस पर स्पष्टीकरण माँगा। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रहित में पीएम और रक्षा मंत्री को चीन के साथ सीमा मुद्दे पर राष्ट्र को एक स्पष्ट तसवीर पेश करनी चाहिए।'
बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए हैं। भारतीय सेना ने इसकी पुष्टि की है। इनमें एक आर्मी अफ़सर भी शामिल हैं। यह झड़प सोमवार (15 जून) को हुई थी। बताया गया है कि झड़प के दौरान पत्थरों, धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल दोनों ओर से किया गया लेकिन गोली नहीं चली है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, इस झड़प में चीनी सेना के 43 जवान हताहत हुए हैं।
रात को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री जयशंकर, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत मौजूद रहे। मंगलवार को दिन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री जयशंकर ने हालात पर चर्चा की। इस दौरान सीडीएस जनरल बिपिन रावत, आर्मी प्रमुख, एयर फ़ोर्स और नेवी के प्रमुख भी मौजूद थे।