कुछ दिन पहले ही जी-20 में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाक़ात की तस्वीरें दिखी थीं, और अब चीन ने फिर से उकसावे वाली हरकत कर दी है। चीन ने नया मैप जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना क्षेत्र होने का दावा कर दिया है। चीन के इस बेतुके और निरर्थक दावे के बाद प्रधानमंत्री मोदी निशाने पर आ गए हैं। कभी चीन को लाल आँख दिखाने की बात कहने वाले प्रधानमंत्री मोदी पर बीजेपी नेता से लेकर विपक्षी नेताओं ने हमले किए हैं और उनपर सीमा की सुरक्षा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इसको लेकर ट्वीट किया है, "मोदी से कहें- 'यदि आप 'मजबूरी' के कारण भारत माता की अखंडता की रक्षा नहीं कर सकते हैं, जिसे आप स्वीकार नहीं कर सकते, तो कम से कम आप हट ज़रूर सकते हैं और सेवानिवृत्त होकर मार्गदर्शक मंडल में जा सकते हैं। झूठ से हिंदुस्तान की रक्षा नहीं हो सकती। भारत एक और नेहरू को बर्दाश्त नहीं कर सकता।"
दरअसल, सुब्रमण्यम स्वामी की ऐसी तीखी प्रतिक्रिया इसलिए आई है कि चीन ने आधिकारिक तौर पर अपने मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी किया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र को उसके क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाया गया है। इसे सोमवार यानी 28 अगस्त को जारी किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश पर चीन दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है और अक्साई चिन पर 1962 के युद्ध में उसने कब्जा कर लिया था। नए नक्शे में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी चीनी क्षेत्र में शामिल किया गया है। बता दें कि वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर क्षेत्रों पर अपना दावा करते हैं। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, यह मानचित्र चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया।
चीन के इस दावे पर प्रतिक्रिया में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि चीनी दावे की बेतुकी और निरर्थकता चीन-भारत सीमा विवाद के इतिहास से साफ़ है। एएनआई से उन्होंने कहा, 'आज भारत और चीन के बीच असली मुद्दा यह है कि चीन ने नाटकीय स्तर पर कई बिंदुओं पर एलएसी का उल्लंघन किया है। उन परिस्थितियों में, सरकार को गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या यह दिल्ली में बैठे व्यक्ति के लिए भारत के स्वाभिमान के अनुरूप होगा जिसमें शी जिनपिंग ने एलएसी के साथ 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसे खाली करने की ज़रूरत है। संक्षेप में कहें तो, चीनी मानचित्र बेतुके हैं, वे चीन-भारत सीमा विवाद के इतिहास से मेल नहीं खाते हैं, अरुणाचल प्रदेश पर चीन का कोई दावा नहीं है।'
मनीष तिवारी ने बीजेपी के उन आरोपों का भी जवाब दिया जिसमें उसके नेता कुछ भारतीय जमीन पर चीन के कब्जे के लिए नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराते हैं।
मनीष तिवारी ने कहा कि बीजेपी जो बार-बार दावा करती रही है कि नेहरू ने 38000 किलोमीटर चीन को दे दिया, वह ऐतिहासिक रूप से पूरी तरह ग़लत है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक रूप से अक्षम लोग ही ऐसा दावा कर सकते हैं।
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने मंगलवार को कहा कि राहुल गांधी के दावे सही हैं कि चीन ने लद्दाख में पैंगोंग घाटी में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा 'हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया और शी जिनपिंग को बधाई दी। उसके बाद चीन का नक्शा आता है। राहुल गांधी का दावा सच है कि चीन ने लद्दाख में पैंगोंग घाटी में प्रवेश किया है। चीन अरुणाचल में प्रवेश करने की कोशिश करता है। यदि आप (केंद्र सरकार) हिम्मत है तो चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करें।'
बता दें कि राहुल गांधी बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है। इसी महीने लद्दाख दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दोहराया था कि चीन ने क्षेत्र में लोगों की जमीन छीन ली है। उन्होंने कहा था, 'चिंता की बात यह है कि निश्चित रूप से चीन ने जमीन छीन ली है... लोगों ने कहा है कि चीन की सेना क्षेत्र में घुस गई है और उनकी चारागाह की जमीन छीन ली गई है, लेकिन पीएम ने कहा कि एक इंच भी जमीन नहीं ली गई, लेकिन यह सच नहीं है, आप यहां किसी से भी पूछ सकते हैं।'
भारत और चीन के बीच पिछले तीन वर्षों से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध चल रहा है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में एक घातक झड़प के बाद दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में खटास आ गई।
बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात हुई थी। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा था, 'प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना आवश्यक है। इस संबंध में दोनों नेता अपने संबंधित अधिकारियों को मामला सुलझाने और डी-एस्केलेशन के लिए शीघ्रता से प्रयास तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए।'
चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी बार-बार घिरते रहे हैं। कभी चीन को लाल आँख दिखाने की बात कहने के लिए पीएम मोदी के उस बयान के हवाले से ही उन पर तंज कसा जाता है।
आप नेता संजय सिंह ने इसी को लेकर हमला किया है।
दो दिन पहले संजय सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा था कि, 'चीन हमारी सीमा में घुसपैठ करता है, हमारे 20 जवान शहीद करता है। मोदी जी क्या करते हैं? चीन के राष्ट्रपति को बुलाते हैं, उन्हें झूला झुलाते हैं। कहते हैं, आओ व्यापार करो और यहां से पैसा कमा कर ले जाओ। पहले कहते थे कि लाल आंख दिखानी है। अब पीएम मोदी की न आंख लाल होती है, न पीली होती है। प्रधानमंत्री मोदी को देश के सम्मान और अस्मिता के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।'
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि लाल क़िले से भ्रष्टाचार 'भारत छोड़ो' के बारे में चिल्लाने वाले मोदी जी एक बार फिर चीन को लाल आंख दिखाने से चूक गए! भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भी चीन को लाल आँख दिखाने को लेकर तंज कसा था।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पिछले साल दिसंबर में कहा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन को ‘लाल आंखें’ कब दिखाएंगे? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल सैनिकों की झड़प को लेकर कहा था कि सरकार की लाल आँख पर चीनी चश्मा लग गया है।