ओडिशा ट्रेन हादसे की ज़िम्मेदारी कोई लेने को तैयार क्यों नहीं है? क्या उस हादसे के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है जिसमें तीन गाड़ियाँ टकरा गईं। जिसमें कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और क़रीब 1000 लोग घायल हो गए? जाहिर है इतनी भीषण दुर्घटना को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आम लोगों की ओर से और विपक्ष की ओर से भी। लेकिन इसका जवाब क्या मिल रहा है? सरकार की ओर से आख़िर किसको ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है?
रेल मंत्री की ओर से औपचारिक घोषणाओं के अलावा बीजेपी की ओर से और उनके समर्थकों की ओर से जो संदेश दिया जा रहा है, उसको बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के ट्वीट से समझा जा सकता है। हादसे के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए जब रेल मंत्री का इस्तीफा मांगा जा रहा है तो अमित मालवीय ने इसके जवाब में एक ग्राफिक्स को ट्वीट किया है। इसमें रेल मंत्री के तौर पर नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और लालू यादव के कार्यकाल के हादसों के आँकड़े दिए हुए हैं। इसमें कहा गया है, 'सवाल उठाने वालों के कार्यकाल की गवाही देते आँकड़े'।
ऐसे ही तर्क सरकार और बीजेपी के कई समर्थक दे रहे हैं। तो सवाल है कि क्या इस हादसे की ज़िम्मेदारी की जब बात आएगी तो क्या 20 या 50 साल पहले की मिसाल देकर ज़िम्मेदारी से पीछा छुड़ा लिया जाएगा?
ओडिशा रेल हादसे पर सरकार की ओर से आ रही कुछ इसी तरह की प्रतिक्रियाओं पर राहुल गांधी ने भी सवाल उठाया है। अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी भविष्य के बारे में कभी बात नहीं करती है और हमेशा अपनी विफलताओं के लिए अतीत में किसी और को दोष देती है। राहुल ने कहा, "मुझे एक ट्रेन दुर्घटना याद है जब कांग्रेस सत्ता में थी। कांग्रेस ने यह कहना नहीं शुरू कर दिया कि 'अब यह अंग्रेजों की गलती है कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई'। कांग्रेस मंत्री ने कहा 'यह मेरी जिम्मेदारी है और मैं इस्तीफा दे रहा हूं'।"
हालाँकि, अमित मालवीय ने जो ट्वीट किया है उनके दावे को भी कांग्रेस ने ग़लत बताया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अमित मालवीय के ट्वीट पर प्रतिक्रिया में कहा, 'वैसे, इस फेक मास्टर को बता दूँ, इनमें से दो मंत्री तो अटल जी की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में रेल मंत्री थे। जनाब अटल जी की सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश कर रहे हैं?'
इसके साथ ही सोशल मीडिया यूज़रों ने दो रेल मंत्रियों- लाल बहादुर शास्त्री और नीतीश कुमार- की मिसाल देते हुए बीजेपी को याद दिलाया कि कुछ ऐसे भी मंत्री थे जो न केवल हादसों के लिए खुद आगे आकर ज़िम्मेदारी लेते थे, बल्कि इसके लिए इस्तीफ़ा दे देते थे।
कांग्रेस ने रविवार को ओडिशा के बालासोर में तीन रेलगाड़ियों की दुर्घटना को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि इस्तीफा देने का मतलब है नैतिक जिम्मेदारी लेना। इसने आरोप लगाया कि इस सरकार में न जिम्मेदारी दिखती है, न नैतिकता। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री जी, ये देश उम्मीद करता है कि जिस तरह लाल बहदुर शास्त्री जी, नीतीश कुमार जी, माधव राव सिंधिया जी ने इस्तीफा दिया था, उस तरह आप भी अपने रेल मंत्री का इस्तीफा लें।' लेकिन बीजेपी की प्रतिक्रिया बिल्कुल इस तरह की नहीं है। पहले भी ऐसे कई मुद्दों पर प्रतिक्रिया ज़िम्मेदारी लेने वाली नहीं रही है।
महंगाई, बेरोज़ग़ारी, विदेश नीति जैसे कई मुद्दे हैं जिनपर कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही है। चाहे वह चीन की लगती सीमा पर तनाव और गलवान झड़प का मामला हो या फिर बेरोजगारी जैसी समस्याएँ। लेकिन बीजेपी कई मामलों में उन समस्याओं के लिए पहले की कांग्रेस सरकार या फिर नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराती रही है। बीजेपी के इस रवैये को कांग्रेस जब तब मुद्दा बनाती भी रही है। पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने कहा था कि भाजपा सात साल से अधिक समय से सत्ता में है, लेकिन लोगों की समस्याओं के लिए वह अब भी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहरा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान को भी पिछली सरकारों को नाकारा साबित करने की कोशिश करार दिया गया था। कांग्रेस ने पीएम मोदी के बयान की तीखी आलोचना की थी। दरअसल, पीएम मोदी ने लोकसभा में कह दिया था कि गांधी परिवार के लोग नेहरू सरनेम का इस्तेमाल क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा था, 'अगर नेहरू जी का नाम हम छोड़ देते हैं तो हम अपनी गलती को सुधार लेंगे, क्योंकि वो देश के पहले प्रधानमंत्री थे। लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से क्यों डरता है? नेहरू सरनेम रखने में शर्म आती है? शर्म किस बात की?' उन्होंने आगे कहा था, 'जब परिवार इतनी बड़ी शख्सियत को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, तो आप हमसे सवाल क्यों करते हैं?'
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान की कांग्रेस ने निंदा की और पूछा कि भारत में कौन नाना के नाम का सरनेम इस्तेमाल करता है। इसने कहा था, 'भारत की संस्कृति को न जानने वाला एक नासमझ इंसान ही, इतने जिम्मेदार पद पर बैठकर ऐसी बात कह सकता है जो प्रधानमंत्री ने कही है। इस देश के किसी भी व्यक्ति से पूछिए अपने नाना का सरनेम इस देश में कौन लगाता है? अब अगर उन्हें देश की संस्कृति की जानकारी नहीं है तो इस देश को भगवान ही बचा सकता है।'
पिछले साल नवंबर में ही भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति समेत कई मोर्चों पर नाकाम बताया था और आरोप लगाया था कि देश को उनकी गलत नीतियों का खामियाजा दशकों तक भुगतना पड़ा। उन्होंने तो कहा था कि देश अब भी उनकी नाकाम नीतियों का खामियाजा भुगत रहा है। तो सवाल है कि जब यह मान लिया गया है कि अधिकतर समस्याओं के लिए नेहरू दोषी हैं तो फिर ट्रेन हादसों के लिए ज़िम्मेदार कौन होगा!