आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में गिरफ़्तार रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को शुक्रवार को भी बॉम्बे हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। अर्णब ने अपनी रिहाई के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। याचिका में उन्होंने आत्महत्या के इस मामले में हुई गिरफ़्तारी को चुनौती दी है। उनके वकील ने कहा है कि गोस्वामी की गिरफ़्तारी पूरी तरह अवैध है।
इससे पहले बुधवार रात को अलीबाग की एक अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उन्हें 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में रहना होगा।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एमएस कार्णिक की बेंच ने कहा कि समय की कमी होने के कारण आगे की सुनवाई कल यानी शनिवार को दिन में 12 बजे से शुरू होगी। बेंच ने कहा कि कल वह अन्वय की बेटी और राज्य सरकार का पक्ष सुनेगी।
अर्णब की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने जिरह की और कहा कि बिना किसी न्यायिक आदेश के पुलिस के पास ख़ुद ही इस केस को खोलने की शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट ने 2019 में ही पुलिस की ओर से अदालत में जमा की गई रिपोर्ट के आधार पर इस केस में क्लोजर ऑर्डर पास कर दिया था। अर्णब के दूसरे वकील हरीश साल्वे ने अदालत से कहा कि अर्णब के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों में दम नहीं है।
सारी दलीलों को सुनने के बाद भी अदालत ने अर्णब को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
हालांकि, अर्णब को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विशेषाधिकार हनन के मामले में अर्णब की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने महाराष्ट्र की विधानसभा के सचिव को अवमानना का नोटिस भी जारी किया है। यह नोटिस अर्णब को विधानसभा की ओर से पत्र भेजे जाने के लिए जारी किया गया है।
इसमें कहा गया है कि अर्णब को कथित रूप से डराने के लिए विधानसभा की ओर से उन्हें पत्र जारी किया गया क्योंकि उन्होंने अदालत का रूख़ किया था। शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अर्णब को उनके ख़िलाफ़ विधानसभा की ओर से जारी विशेषाधिकार नोटिस के चलते गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।
अर्णब की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि विधानसभा के सचिव के पत्र के जरिये अर्णब से इस बात के लिए पूछताछ की गई है कि उन्होंने इस मामले को अदालत के सामने क्यों रखा, क्योंकि यह गोपनीय है। साल्वे ने अदालत को बताया कि गोस्वामी के ख़िलाफ़ एक के बाद एक मुक़दमे दर्ज किए जा रहे हैं।
सीजेआई एसए बोबडे ने इस पत्र पर हैरानी जताई। बोबडे ने कहा, ‘वह ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं। आर्टिकल 32 क्या है। इस पत्र को लिखने वाले को लेकर हमारे कुछ गंभीर सवाल हैं।’
इस बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन शामिल हैं। बेंच ने कहा है कि अर्णब को भेजा गया पत्र न्याय के मामले में गंभीर दख़ल है और इसका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने वाले किसी शख़्स को डराना है।
अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि अगर भारत के किसी नागरिक को अदालत तक पहुंचने से रोका जाता है तो यह मामला आर्टिकल 32 के तहत है और बेहद गंभीर है। अदालत ने विधानसभा के सचिव से कहा है कि वह दो हफ़्तों में इसका जवाब दें।
बुधवार की सुबह रायगढ़ और मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया था और शाम को पुलिस ने एक और बड़ी कार्रवाई की थी। मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी, उनकी पत्नी, बेटे और दो अन्य लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की थी।
देखिए, अर्णब की गिरफ़्तारी पर वीडियो-
बीजेपी नेता बचाव में उतरे
अर्णब की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गयी है। राजनीति का आलम यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल से लेकर बीजेपी के प्रदेश स्तर और केंद्रीय स्तर के तमाम नेताओं के ट्वीट्स आये हैं।
रायगढ़ और मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई को बीजेपी नेताओं ने बदले की भावना से उठाया हुआ क़दम बताते हुए इसकी तुलना "आपातकाल" से कर दी।
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से लेकर स्मृति ईरानी और रविशंकर प्रसाद ने इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया।
‘इमरजेंसी जैसी कार्रवाई’
जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा कि मुंबई में प्रेस-पत्रकारिता पर हमला हुआ है और यह महाराष्ट्र सरकार की यह कार्रवाई इमरजेंसी की तरह ही है। उन्होंने कहा कि हम इसकी भर्त्सना करते हैं। जावड़ेकर ने रायगढ़ पुलिस की कार्रवाई को इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल से जोड़ दिया और कहा, ‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में काम कर रही कांग्रेस अभी भी आपातकालीन मनस्थिति में है। इसी का सबूत आज महाराष्ट्र में उनकी सरकार ने दिखाया है। लोग ही इसका लोकतांत्रिक जवाब देंगे।’बीजेपी पर हमलावर शिव सेना
रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री तथा शिव सेना के प्रवक्ता अनिल परब ने बुधवार को कहा कि अर्णब की गिरफ्तारी आत्महत्या के एक प्रकरण की वजह से हुई है। उन्होंने कहा कि इसे प्रेस पर अंकुश या आपातकाल कहना इस मामले को दूसरा रूप देने की साज़िश जैसा है। परब ने कहा कि मुंबई से लेकर दिल्ली तक बीजेपी के नेता और मंत्री इस गिरफ्तारी पर बयानबाजी कर रहे हैं लेकिन इस बात को कोई नहीं बता रहा कि अर्णब पर एक महिला का सुहाग उजाड़ने का आरोप है।‘बदले की कार्रवाई नहीं’
शिव सेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अर्णब की गिरफ्तारी उनके ख़िलाफ़ विचाराधीन मामले में जांच का हिस्सा है। अर्णब या किसी अन्य पत्रकार ने सुशांत सिंह आत्महत्या प्रकरण में शिव सेना नेताओं पर अनेक झूठे आरोप लगाए लेकिन हमने किसी के ख़िलाफ़ कभी बदले की कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि अर्णब की गिरफ्तारी एक आर्किटेक्ट और उसकी मां की आत्महत्या के मामले में हुई है।
इस संबंध में अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता ने महाराष्ट्र पुलिस का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि अर्णब की कुटिलता की वजह से उनके पति, सास और पिता को आत्महत्या करनी पड़ी है। उनके पति ने अपने सुसाइड नोट में अर्णब गोस्वामी द्वारा पैसे नहीं दिए जाने का उल्लेख किया था। अन्वय की पत्नी ने आरोप लगाया कि अर्णब हमें दिए हुए पैसे वापस वसूलने की धमकी देता था।