कानपुर में न्यूज़ीलैंड के साथ होने वाले क्रिकेट टेस्ट मैच के दौरान भारतीय टीम के लिए खाने पीने की जो व्यवस्था की गई है, उस पर सवाल उठ रहे हैं। तय मीनू के अनुसार, भारतीय खिलाड़ियों को सिर्फ हलाल किया हुआ मांस दिया जाएगा, उनके मीनू में गोमांस या सूअर का मांस नहीं होगाा।
सवाल यह उठ रहा है कि क्रिकेटरों के खाने पीने की पसंद- नापसंद कोई दूसरा आदमी कैसे तय कर सकता है।
'इंडिया टुडे' के अनुसार, बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के खाने पीने के बारे में कुछ नहीं कहा है, टीम मैनेजमेंट यह तय करता है और वह बीसीसीआई के जरिए मेजबानी करने वाले बोर्ड को इसकी जानकारी देता है। इसके अलावा खिलाड़ियों की सुरक्षा और दूसरे इंतजाम के बारे में भी मेजबान बोर्ड को जानकारी दी जाती है।
यह मैच कानपुर में हो रहा है और इस कारण इसकी मेजबानी उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन कर रहा है।
क्या है मामला?
'इंडिया टुडे' के अनुसार, न्यूज़ीलैंड के खाने पीने की योजना में कहा गया है कि खाने पीने की चीजों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कम मात्रा में वसा होना चाहिए। टीम मैनेजमेंट ने सुबह के नाश्ते और दोपहर के भोजन में रेड मीट और ह्वाइट मीट होने की बात कही है।
यह भी कहा गया है कि कुछ खिलाड़ियों की विशेष पसंद है और कुछ को कुछ चीजों से एलर्जी है।
रेड मीट में बीफ़ और भेड़ का गोश्त होने की बात कही गई है तो ह्वाइट मीट में चिकन, मछली और सूअर का मांस होने की बात कही गई है। कार्बोहाइड्रेट के लिए आलू, चावल और पास्ता देने की बात कही गई है। दो सब्जियाँ और सलाद की बात भी कही गई है।
सोशल मीडिया पर सवाल
लेकिन सोशल मीडिया पर सवाल यह उठ रहा है कि किसी के खाने पीने की पसंद नापसंद को कोई दूसरा तय कैसे कर सकता है।
पवन नाम के एक व्यक्ति ने ट्वीट कर सवाल किया है कि 'हलाल मांस क्यों परोसा जा रहा है, बीफ़ और पोर्क नहीं देने की बात तो समझ में आ रही है, पर हलाल क्यों, झटका क्यों नहीं?'
राम निरंजन देसाई ने ट्वीट कर पूछा है कि बीफ़ और पोर्क दोनों पर रोक क्यों लगाया गया है, पोर्क आदिवासी बहुल इलाकों में खाया जाता है और यह पूर्वोत्तर का मुख्य भोजन है।
क्या है हलाल-झटका?
बता दें कि हलाल उस मांस को कहते हैं जिसके लिए जानवर को एक खास तरीके से काटा जाता है जिससे खून धीरे धीरे और कुछ समय से निकलता है। मुसलमान इसी तरह का मांस खाते हैं।
लेकिन झटका तरीके में जानवर को एक झटके से काटा जाता है और उसका खून एक बार ही तेजी से निकल जाता है। मुसलमान इस तरह का मांस नहीं खाते।
अब लोग सोशल मीडिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि झटका क्यों नहीं, हलाल क्यों। बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम में मुसलमान खिलाड़ी भी हैं।