कोरोना महामारी पर काबू पाने और संकट से निपटने के तरीके पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच घमासान मचा हुआ है। इस सिलसिले में नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पर निजी हमला किया है।
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने तीखा वार करते हुए राहुल गाँधी को सलाह दे डाली कि 'वह अपनी मम्मी के पीएमओ और मोदी के पीएमओ में अंतर समझें।' केंद्रीय मंत्री ने कहा,
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'मुझे लगता है कि राहुल बाबा को मम्मी जी का पीएमओ याद आ रहा है मोदी जी का पीएमओ समझ नहीं आ रहा है। उनकी मम्मी जी के पीएमओ और मोदी जी के पीएमओ में जमीन आसमान का फर्क है।'
मुख़्तार अब्बास नक़वी, केंद्रीय मंत्री, अल्पसंख्यक मामले
क्या कहा था राहुल ने
बता दें कि कांग्रेस के इस नेता ने इसके पहले एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोरोना की लड़ाई में विकेंद्रीकरण की वकालत की थी और कहा था कि यह लड़ाई पीएमओ तक सीमित नहीं रखी जानी चाहिए। राहुल ने कहा था :
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'अगर हम इस लड़ाई को ज़िला स्तर तक ले जाएं तो हिंदुस्तान इसका समाधान निकाल सकता है लेकिन अगर इस लड़ाई को हम पीएमओ में रखेंगे तो हम यह लड़ाई हार जाएंगे।'
राहुल गाँधी, सांसद, कांग्रेस
उन्होंने इसके आगे कहा था, 'इसलिए प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियों पर भरोसा करना होगा और मुख्यमंत्रियों को ज़िलाधिकारियों पर भरोसा करना होगा और अगर हमने इसे केंद्रीय स्तर तक ही रखा तो आपदा आने वाली है।'
नक़वी : डर फैलाना चाहते हैं राहुल
मुख़्तार अब्बास राहुल गाँधी की इसी बात का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बहुत ही तीखे अंदाज़ में कहा कि राहुल गाँधी डर फैलाना चाहते हैं, जबकि ज़रूरत उम्मीद की है।
'राहुल गांधी उम्मीद के बजाय डर का माहौल पैदा कर रहे हैं। कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में होप की ज़रूरत है हॉरर की नहीं। कुछ लोग डर पैदा करके गुमराह करना चाहते हैं।'
नक़वी ने कहा कि मोदी ने लोगों की सलामती के लिए समावेशी तरीके से काम किया है और इस वजह से कोरोना की मारक क्षमता भारत में कमज़ोर हुई है। उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता ने पीएम का साथ दिया है और समाज के सभी वर्गों ने निर्देशों का पालन किया है।
मुख़्तार अब्बास नक़वी इसलिए भी बौखलाए हुए हैं कि राहुल गाँधी ने आरोग्य सेतु ऐप पर सवाल उठाते हुए उसे सर्विलांस ऐप बताया था। उन्होंने कहा था कि इससे लोगों पर निगरानी रखी जा सकती है।
राहुल ने ट्वीट किया था, 'यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी ऑपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है। इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा की आशंका है। प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है; लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए।'
नकवी ने कहा, 'एक पार्टी के बहुत बड़े नेता ने 20 सवाल पूछ लिए हैं, आरोग्य सेतु से लेकर प्रवासी मज़दूरों और पीएमओ तक की बात कही।'