आख़िर कोई भी नेता क्यों नहीं बनना चाहता कांग्रेस अध्यक्ष?

12:42 pm Jul 09, 2019 | यूसुफ़ अंसारी - सत्य हिन्दी

कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। नए अध्यक्ष पर आम सहमति बनाने की क़वायद में जुटे नेता किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। लिहाजा नए अध्यक्ष के चुनाव में लगातार देर हो रही है। इस देरी से परेशान नेताओं ने अब सार्वजनिक रूप से अपनी राय देनी शुरू कर दी है। इससे पार्टी का संकट तो दूर नहीं हो रहा है लेकिन नए अध्यक्ष को लेकर आपसी सहमति बनाने में जुटे नेताओं की मुश्किलें बढ़ रही हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह ने बाक़ायदा एक बयान जारी करके इस बात पर नाराज़गी जताई है कि राहुल गाँधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एक महीने से ज़्यादा का वक़्त उन्हें मनाने में बर्बाद कर दिया। उन्होंने अपने बयान में जल्द से जल्द पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाकर नए अध्यक्ष का चुनाव करने की सलाह दी है।

कुछ दिन पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि राहुल गाँधी के इस्तीफ़ा देने के बाद पार्टी को किसी युवा चेहरे को ही अपना अध्यक्ष बनाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि राहुल गाँधी ने पार्टी के युवा नेतृत्व को आगे करने का रास्ता दिखाया है, लिहाजा पार्टी को युवा नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए और युवा नेतृत्व ही पार्टी को मजबूत कर आगे ले जा सकता है। 

लेकिन हक़ीक़त यह है कि कांग्रेस में नये अध्यक्ष के नाम पर कोई सहमति नहीं बन पा रही है। जिस बड़े नेता को भी कांग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी देने की बात चलती है, वह नेता ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर रहा है।

बताया जाता है कि सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद पर एक एंटनी को बैठाने का प्रस्ताव आया था लेकिन एंटनी ने यह ज़िम्मेदारी लेने से साफ़ मना कर दिया। अब ख़बर है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी यह ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर ही संतुष्ट हैं। ख़बरें यह भी हैं कि सुशील कुमार शिंदे और मल्लिकार्जुन खड़गे भी अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं।

मुकुल वासनिक का नाम चर्चा में

कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि कई दिग्गजों के अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार करने के बाद अब किसी नए नाम पर सहमति बनाने की कोशिशें हो रही हैं। नये लोगों में मुकुल वासनिक का नाम काफ़ी चर्चा में है। मुकुल वासनिक फ़िलहाल पार्टी में महासचिव हैं। वासनिक दस जनपथ के बेहद क़रीबी और भरोसेमंद माने जाते रहे हैं। वासनिक नरसिम्हा राव की सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री थे। एनएसयूआई और युवा कांग्रेस में रहने के साथ ही वह कई बड़े राज्यों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उन्हें लेकर पार्टी में कोई विवाद भी नहीं रहा है।

हालाँकि सूत्र यह भी कहते हैं कि अभी पुख़्ता और मुकम्मल तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा। क्योंकि इससे पहले अशोक गहलोत और सुशील कुमार शिंदे के नाम पर भी सहमति बनने की बात कही गई थी। 

पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने में हो रही देरी से कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता भी परेशान हैं। एक तरफ़ जहाँ पार्टी अध्यक्ष पद पर फ़ैसला नहीं कर पा रही है, वहीं कर्नाटक में उसकी सरकार पर ख़तरा मंडरा रहा है। उसे बचाने की कोशिशें भी उतने पुरजोर तरीक़े से नहीं हो पा रही हैं जितनी की होनी चाहिए थी। अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद राहुल गाँधी का एकदम पार्टी से दूरी बना लेना भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अखर रहा है। बहरहाल, कांग्रेस के सामने अब तक के सबसे ख़राब हालात से जल्द बाहर निकलने की एक बड़ी चुनौती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस चुनौती से कैसे पार पाती है।