किसान आंदोलन: बुधवार सुबह होगी मोदी कैबिनेट की बैठक 

11:07 pm Dec 08, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

मोदी सरकार के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान करके सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पिछले कई दौर की बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद किसान आक्रामक हैं और उनका कहना है कि सरकार तुरंत इन क़ानूनों को वापस ले। 

भारत बंद के दौरान सुबह 11 बजे से दिन में 3 बजे तक दिल्ली में चक्का जाम रहेगा। दिल्ली और हरियाणा की पुलिस ने अपने बॉर्डर्स पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की हुई है। किसानों ने कहा है कि वे बंद के दौरान टोल प्लाज़ा पर कब्जा कर इन्हें फ्री कर देंगे। सभी किसान संगठनों ने कहा है कि बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा और किसी भी तरह की हिंसा की इजाजत नहीं होगी। 

बैंक यूनियनों ने कहा है कि वे किसानों के साथ हैं लेकिन वे बंद में साथ नहीं देंगी। लेकिन वे अपनी बाहों पर काली पट्टी बांधकर किसानों का समर्थन करेंगे। राजधानी दिल्ली की बड़ी सब्जी मंडियों ग़ाज़ीपुर, ओखला और नरेला इस दौरान प्रभावित हो सकती हैं। 

मुंबई: बस-लोकल सेवा चालू रहेगी

मुंबई के यूनियन लीडर शशांक राव का कहना है कि टैक्सी, ऑटो, मजदूर यूनियन इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। फेडरेशन ऑफ़ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने भी बंद में शामिल होने से इनकार किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष विरेन शाह का कहना है क लॉकडाउन की वजह से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है, वह और नुकसान नहीं चाहते। 

मुंबई की सड़कों पर बेस्ट बसें चालू रहेंगी। लोकल ट्रेन सेवाएं चालू रहेंगी। मेट्रो और मोनो रेल सेवाएं चालू रहेंगी। ऑटो रिक्शा और टैक्सी भी चलेंगी। एपीएमसी मंडियां बंद रहने के कारण सब्जी, फल और दूध की सप्लाई पर असर पड़ेगा। 

महाविकास आघाडी सरकार के तीनों घटक दलों ने बंद का समर्थन किया है और शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेता मुंबई में अलग-अलग इलाकों में मार्च और प्रदर्शन करेंगे।

राजनीतिक दल समर्थन में उतरे

कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, एसपी, एनसीपी, शिव सेना, जेएमएम, टीआरएस, सीपीआई, सीपीआई(एम), ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक सहित कई विपक्षी दलों के इस आंदोलन को समर्थन देने के कारण माना जा रहा है कि भारत बंद सफल रहेगा। लेकिन दूसरी ओर बीजेपी समर्थकों ने बंद का पूरी तरह विरोध किया है। किसानों को विदेशों से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है। 

सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-

गुमराह कर रहा विपक्ष: प्रसाद

किसान संगठनों और विपक्षी दलों के हमलों से घबराई मोदी सरकार ने सोमवार को क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को जवाब देने के लिए मैदान में उतारा। प्रसाद ने कहा कि आज जो नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया है, यूपीए की 10 साल की सरकार में यही हो रहा था और कांग्रेस अपने राज्यों में यही कर रही थी। प्रसाद ने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि आज जब इसका राजनीतिक वजूद ख़त्म हो रहा है और ये कई चुनावों में हार रही है तो अपना वजूद बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में शामिल हो रही है।

उन्होंने कहा कि देश में छोटे-मंझोले किसान अगर वक़्त के हिसाब से बदलना चाहते हैं तो उन्हें यह अवसर क्यों नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का मंडियों या एमएसपी को ख़त्म करने का कहीं कोई इरादा नहीं है। प्रसाद ने कहा कि सारी विपक्षी पार्टियां किसानों को भ्रमित कर रही हैं और इनका पूरा चेहरा शर्मनाक और दोहरे चरित्र का है। 

कुछ दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचे थे तो उन्होंने भी यही कहा था कि कुछ लोग किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। नए क़ानूनों के तहत मंडियों को ख़त्म करने को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर मोदी ने कहा था कि अगर मंडियों और एमएसपी को ख़त्म करना होता तो सरकार इन पर इतना निवेश क्यों करती। उन्होंने कहा था कि सरकार मंडियों को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये ख़र्च कर रही है।

9 दिसंबर को होगी बातचीत

इससे पहले किसानों और केंद्र सरकार के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को कई घंटों तक चली बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही थी और 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेता और सरकार आमने-सामने बैठेंगे। केंद्र सरकार अब कृषि क़ानूनों में संशोधन के लिए भी तैयार दिख रही है। लेकिन किसानों का साफ कहना है कि उन्हें इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। 

इसके अलावा किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी पर क़ानून बनाया जाए, पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली बिल 2020 को भी वापस लिया जाए। 

बढ़ता जा रहा जमावड़ा 

दिल्ली-हरियाणा की सीमा से लगने वाले टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। हरियाणा और पंजाब से तो किसान और खाप पंचायतें लगातार बॉर्डर पर जुट ही रही हैं, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों से किसानों का आना जारी है। दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में किसान कई दिनों से धरने पर बैठे हैं। इस वजह से ख़ासा जाम लग रहा है और आम लोगों को परेशानी हो रही है।