नागरिकता संशोधन क़ानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) को लेकर देश भर में मचे हंगामे के बीच असम की बीजेपी सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि वह वर्तमान एनआरसी से ख़ुश नहीं हैं और इसे स्वीकार नहीं करते हैं।
गुवाहाटी में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सरमा ने कहा कि अगर पूरे देश में एनआरसी को लागू नहीं किया जाता है तो असम सरकार वर्तमान एनआरसी के रिवीजन की माँग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी में शामिल लोगों की फिर से जाँच के लिए पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ लंबित हैं। सरमा ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट असम के सीमाई जिलों में 20 फ़ीसदी रि-वेरिफ़िकेशन करने का आदेश देता है तो राज्य सरकार ऐसा करेगी।
सरमा का यह बयान तब आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली के मंच से कहा कि 2014 में उनकी सरकार बनने के बाद एनआरसी को लेकर चर्चा नहीं हुई है।
बंदी गृह को लेकर रखा पक्ष
प्रधानमंत्री मोदी ने रैली में कहा था कि भारत में कोई भी बंदी गृह नहीं है। लेकिन कांग्रेस ने उनके दावे को ग़लत बताया था और कहा था कि सिर्फ़ एक गूगल सर्च से पता चल सकता है कि प्रधानमंत्री का दावा ग़लत है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अख़बारों में छपी ख़बरों को डाला जिनमें कहा गया था कि देश में कहां-कहां पर बंदी गृह हैं। सरमा ने इसे लेकर कहा कि असम में बंदी गृह गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश पर बनाये गये हैं न कि केंद्र सरकार के किसी फ़ैसले के कारण। प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा था कि देश के मुसलमानों को कोई भी बंदी गृह में नहीं भेज रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के एनआरसी को लेकर दिए गए बयान के बाद सवाल उठ रहा है कि केंद्र सरकार का आख़िर एनआरसी को लेकर क्या स्टैंड है। क्योंकि सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो मौजूद हैं जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 2024 से पहले देश भर में एनआरसी को लागू करने की बात कहते सुना जा सकता है।
नवंबर में भी अमित शाह ने संसद में कहा था कि असम के साथ-साथ पूरे देश में एनआरसी की नई प्रक्रिया को लागू किया जाएगा जबकि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि सरकार की ऐसी कोई योजना ही नहीं है। प्रधानमंत्री ने रैली के मंच से कहा था कि वह देश के 130 करोड़ लोगों को इस बात को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि एनआरसी को लेकर सरकार कोई चर्चा नहीं कर रही है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस बारे में ख़बर दी थी कि असम में भारत में अवैध रूप से रह रहे लोगों के लिए बंदी गृह बनाया जा रहा है। सितंबर में अख़बार की ओर से एक टीम ने असम के गोलपारा जिले में मटिया इलाक़े का दौरा किया था, इस जगह एक नया बंदी गृह बनाया जा रहा है। अख़बार ने कहा था कि असम में वर्तमान में 6 बंदी गृह हैं लेकिन ये सभी जेल के अंदर हैं।